Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 26
________________ जैनविद्या 24 5.38, में 'उक्तञ्च अर्हत्प्रवचने' लिखकर जिस ग्रन्थ का निर्देश किया गया है वह कदाचित् उक्त ग्रन्थ ही हो। (4) देवनन्दि पूज्यपाद (464-524 ई.) के 'जैनेन्द्र महान्यास' में 'रात्रेः कृति प्रभाचन्द्रस्य' द्वारा उल्लिखित प्रभाचन्द्र। (5) परलुरु निवासी आचार्य विनयनन्दि के शिष्य प्रभाचन्द्र जिन्हें चालुक्य नरेश कीर्तिवर्मा प्रथम ने शक संवत् 489 अर्थात् 567 ई. में दान दिया था। (6) पुन्नाटसंघीय जिनसेन कृत 'हरिवंशपुराण' (783 ई.) में उल्लिखित कुमारसेन के शिष्य प्रभाचन्द्र। (7) सेनसंघीय जिनसेन स्वामी (770-850 ई.) कृत आदिपुराण में उल्लिखित कवि प्रभाचन्द्र जिन्होंने 'चन्द्रोदय' की रचना की थी। (8) श्रवणबेलगोल के समीपवर्ती सोमवार बस्ति के समीप शक संवत् 1001 (1079 ई.) के शिलालेख में उल्लिखित काणूरगण के प्रभाचन्द्र सिद्धान्तदेव। (9) सेनगण के भट्टारक बालचन्द्र के शिष्य भट्टारक प्रभाचन्द्र जिनका समय 12वीं शती ईस्वी अनुमानित है। (10) 'प्रभावकचरित' (1277 ई.) के रचयिता प्रभाचन्द्र सूरि। (11) मूलसंघ देशीयगण पुस्तकगच्छ की इंग्लेश्वर शाखा में हुए, सारत्रय (समयसार, प्रवचनसार और पंचास्तिकायसार) में निपुण तथा ‘परमागमसार' और 'भावसंग्रह' कृतियों के रचयिता श्रुतमुनि के शास्त्रगुरु प्रभाचन्द्र मुनि। इनका उल्लेख श्रुतमुनि ने शक संवत् 1263 (1341 ई.) में मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी को पूर्ण किये गये अपने ‘परमागमसार' की प्रशस्ति में किया है। (12) विक्रम संवत् 1489 (1432 ई.) में भाद्रपद शुक्ल पंचमी को सकीट नगर (जिला एटा, उत्तरप्रदेश) में लंबकंचुक (लमेचु) जाति के सकरु साहु के पंडित पुत्र सोनिक की प्रार्थना पर और ब्रह्मचारी जैता के प्रबोधनार्थ उमास्वाति के तत्वार्थसूत्र' पर 'तत्वार्थरत्नप्रभाकर' नामक टीका रचनेवाले भट्टारक प्रभाचन्द्र जो काष्ठान्वय में आचार्य नयसेन की परम्परा में भट्टारक हेमकीर्ति के शिष्ट भट्टारक धर्मचन्द के पश्चात् पट्टासीन हुए। ___ (13) मूलसंघ सरस्वतीगच्छ में हुए भट्टारक ज्ञानभूषण के शिष्य और 'ज्ञानसूर्योदय' नाटक के रचयिता भट्टारक वादिचन्द्र के गुरु भट्टारक प्रभाचन्द्र।

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