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जैनविद्या 24
'ज्ञानसूर्योदय' नाटक की रचना मधूकनगर में संवत् 1648 ( 1591 ई.) की माघ शुक्ल अष्टमी को हुई थी । उसकी प्रशस्ति में भट्टारक वादिचन्द्रसूरि ने अपने गुरु भट्टारक प्रभाचन्द्र का उल्लेख किया है।
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( 14 ) मुमुक्षु विद्यानन्दि द्वारा गान्धारपुरी में संवत् 1779 ( 1722 ई.) में रचित 'सुदर्शनचरित्र' की प्रशस्ति में उल्लिखित रत्नकीर्ति के पश्चात् पट्टासीन होनेवाले प्रभेन्दु अर्थात् प्रभाचन्द्र भट्टारक ।
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ज्योति निकुंज
चारबाग
लखनऊ-226004