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महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ 'आस्था और चिन्तन' के प्रबन्ध सम्पादक सम्यक्त्व रत्नाकर श्री सुमत प्रसाद जैन तथा 'ऋषभदेव फाउण्डेशन' के महामंत्री श्री हृदयराज जैन के बहुमूल्य परामर्शों एवं सत्प्रेरणानों के प्रति भी मैं प्रत्यन्त प्राभारी हूँ।
इस शोध प्रबन्ध के लिए अनेक दुर्लभ ग्रन्थों की प्राप्ति मुझे प्राकियाँलॉजिकल पुस्तकालय, जनपथ, नई दिल्ली; वीर सेवा मन्दिर पुस्तकालय, दरियागंज, नई दिल्ली, श्री महावीर जैन पुस्तकालय तथा मारवाड़ी पुस्तकालय, चाँदनी चौक, दिल्ली, केन्द्रीय सचिवालय पुस्तकालय, मन्डी हाउस, नई दिल्ली; रामजस कालेज पुस्तकालय तथा केन्द्रीय सन्दर्भ पुस्तकालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली से हुई है। तदर्थ मैं इन पुस्तकालयों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का विशेष आभारी हूँ। श्री जंग बहादुर खन्ना, असिस्टेन्ट लाइब्रेरियन, दिल्ली विश्वविद्यालय का मैं विशेष आभार प्रकट करता हूँ कि उनके निरन्तर सहयोग से ही मुझे समय समय पर दुर्लभ पुस्तकों की प्राप्ति हो सकी तथा इस ग्रन्थ की वर्गीकृत विषयानुक्रमणिका तैयार करने के प्रेरणा स्रोत भी वे ही हैं।
मेरे अभिन्न मित्र श्री बिशन स्वरूप रुस्तगी, डा० जशोसिंह बिष्ट, डा० जी० डी० भट्ट, श्री देवकी नन्दन भट्ट, श्री प्रबोध राज चन्दोल, डा० राजेन्द्र प्रसाद, श्री सत्यनारायण शर्मा, कविराज डा० एम० एम० एस० यादव, श्री नरेन्द्र मल्होत्रा, पं० बचीराम उपाध्याय, पं० दयाराम सेम्वाल श्री जगत् सिंह भंडारी तथा श्री सुन्दरलाल शाह का सतत उत्साह वर्धन तथा सहयोग भावना इस ग्रन्थ के प्रणयन में अनेक दृष्टियों से सहायक रही है। इसके लिये वे सभी धन्यवाद के पात्र हैं। मेरे सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं के सहयोगी श्री के. पी. सिंह, श्री खीमानन्द पाण्डे, श्री रामप्रसाद पन्त, श्री मेहताब सिंह कठैत, श्री नारायण सिंह कनवाल, श्री मथुरादत्त काण्डपाल, श्री प्रकाश चन्द्र शर्मा, श्री बी० डी० जोशो, श्री धनसिंह रावत प्रादि अनेक महानुभावों का मैं विशेष रूप से प्राभारी हूं कि उन्होंने मेरे द्वारा सम्पादित किए जाने वाले अनेक संस्थागत दायित्वों से मुझे मुक्त रखा तथा इस प्रकाशन कार्य में सहयोग प्रदान किया ।
दिवंगत पिता जी की अदृश्य प्रेरणा और आशीर्वाद मेरे इस अनुष्ठान में सदा साथ रहे हैं, उनके प्रति मैं अपना सादर प्रणाम निवेदन करता हूं। पूजनीय माता तथा चाचा-चाची का वात्सल्यपूर्ण आशीर्वाद जो मुझे सदा मिलता आया है उनके प्रति मैं नतमस्तक हूँ। धर्मपत्नी अानन्दी तथा अनुज जयकिसन और गोपाल ने परिवार के सभी दायित्वों से मुझे जो चिन्ता मुक्त रखा है, उसके लिए वे सभी साधुवाद के अधिकारी हैं।