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चतुर्थ अध्याय में अर्थव्यवस्था से सम्बद्ध मध्यकालीन आर्थिक प्रवतियों, भूमिदान, भूस्वामित्व के हस्तान्तरण और विकेन्द्रीकरण, व्यावसायिक वर्ग विभाजन कृषि-उद्योग, पशुपालन, वाणिज्य, शिल्प तथा जीविकोपार्जन सम्बन्धी विभिन्न प्रकार के व्यवसायों की विवेचना की गई है। पञ्चम अध्याय में ग्राम तथा नगर चेतना से अनुप्राणित बारह प्रकार की प्रावासीय संस्थितियों पर गवेषणात्मक प्रकाश डाला गया है तथा 'निगम' की ऐतिहासिक समस्या की पुनर्समीक्षा की गई है । इसी अध्याय में विविध प्रकार के खाद्य एवं पेय पदार्थों तथा वस्त्राभूषण सम्बन्धी विवरणों को प्रस्तुत किया गया है। षष्ठ अध्याय में जैन धर्म की विशेषतानों पर प्रकाश डाला गया है जिसमें जैन गृहस्थ धर्म एवं मुनि धर्म, देवोपासना, मन्दिर एवं तीर्थ स्थान, देवशास्त्र, तपश्चर्या प्रादि की चर्चा प्रमुख है । इसी अध्याय में पालोच्य युग के जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त विवेचित हुए हैं और विभिन्न दार्शनिक वादों का निरूपण किया गया है। सप्तम अध्याय में शिक्षा का स्वरूप, शैक्षिक गतिविधियाँ, उच्चस्तरीय अध्ययन विषय विभिन्न प्रकार की कलाएँ और ज्ञान-विज्ञान प्रादि की चर्चा हुई है। अष्टम अध्याय में स्त्रियों की स्थिति तथा विवाह संस्था के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डाला गया है तथा नवम अध्याय में भगोलशास्त्रीय मान्यताओं के निरूपण सहित विभिन्न पर्वतों नदियों तथा देशप्रदेश की भौगोलिक सीमाओं आदि का निर्धारण किया गया है । तदुपरान्त 'सिंहावलोकन' में सभी अध्यायों में प्रतिपादित तथ्यों का ऐतिहासिक दृष्टि से मूल्यांकनपरक निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है। 'सन्दर्भ ग्रन्थ सूची' के अन्तर्गत वे सभी ग्रन्य, पत्र-पत्रिकाएं आदि अपने अपेक्षित विवरणों सहित निर्दिष्ट हैं जिन्हें शोध प्रबन्ध में उद्धृत किया गया है ।
भारतीय विद्या एवं जैन विद्या की तुलनात्मक गवेषणा पद्धति को एक व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक दिशा प्रदान करने के प्रयोजन से तथा इस क्षेत्र में कार्य करने वाले शोधार्थियों को सुविधा हेतु तीन विस्तृत अनुक्रमणिकाएं- नामानुक्रमणिका, स्थानुक्रमणिका तथा विषयानुक्रमणिका ग्रन्थ के अन्त में जोड़ी गई हैं।
मैं सर्वप्रथम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं जिसने इस शोधकार्य हेतु मुझे अखिल भारतीय स्तर की छात्रवृत्ति प्रदान करने का अनुग्रह किया। 'भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद्', फिरोज शाह रोड, नई दिल्ली की ओर से शोध प्रबन्ध के प्रस्तुतीकरण हेतु जो आर्थिक अनुदान प्राप्त हुपा है उसके लिए मैं परिषद् का विशेष आभारी हूं।
शोध कार्य के पञ्जीकरण से लेकर इसके प्रस्तुतीकरण, इसके प्रकाशन की अनुमति लेने तथा वर्तमान रूप में इसके मुद्रण को समयावधि लगभग दो