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(१८) सोबत छोडदे ॥३॥ फेल रद के जाहिलो स, नेकी तो मिलती नहीं । सिवा कोल बद के नहीं सुने, जाहिल की सोवत छोडदे॥४॥रहम दिल का पाक पन, इबादत भी न हो। ईमान भी जावे बिगड़, जाहिल की सोबत छोडदे ॥ ५ ॥ जाहिल तो आखिर ए दिला, दोजस के अन्दर जायगा । नेक आकरत कम बने, जाहिल की सोबत छोडद ॥६॥ नशा पीना जुल्म करना, लड़ना लेना नीद का । गरूर प्रा. दत जाहिलों की, जाहिल की सोवत छोडदे ।। ७ ।। जाहिलपन की दवा मियां, लुकमान के घर में नहीं । सिविल सर्जन के हाथ क्या, जाहिल की सोचत छोडदे ॥ ८॥ गुरु के परसाद से, कहे चौथमल तूं कर निगाह । आलिम की सोवन कर सदा, जाहिल की सोबत छोडदे ॥४॥
तर्ज पूर्ववत् । गज़ल (कुसंप) फूट निषेध पर। लाखों घर गारत हुए, इस फूट के परताप से । सम्म गया इस देश से, इस फूट के परताप से ॥ टेर ॥ इल्म हुनर ईमान इज्जत, हमदर्दी गई कर विदा । हिंसक धृत कामी बने. इस फूट के परताप से ।। १॥ जहां सम्प वही सम्पति, जहां पूट यहां सम्प कहां । अज़ब लीला होगई, इस पृट के
प से॥२॥ मोहताज दौलतमन्द हुए, कई राज्य राजों का इंडिया बरबाद हुवा, इस फूट के परताप से ॥३॥