Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनवालबोधकथा । समुद्र दत्तका एक गोपायन नामका पड़ोसी था। और पूर्व जन्मके पापसे वह दरिद्र था। उसकी स्त्रीका नाम सोमा और पुत्रका नाम सोमक था। सोमक धीरे २ बढकर अपनी तोतली वोलीसे माता पिताको आनंदित करने लगा और वह तीन वर्षका होगया था। ___ एक दिन गोपायनके घर पर सागरदच और सोमक अपना वालसुलभ खेल खेल रहे थे। सागरदत्तको उसकी मूर्ख माताने बहुकीमती गहने पहरा दिये थे सो वह गहने पहिरे ही गोपायनके घर खेलनेको चला गया था। बालकों के खेलते समय गोपायन घरमें आया । सागरदत्तको गहने पहिरे देख उसके मनमें पापका वाप लोम जाग उठा । उसने घरका सदर दरवाजा बंद करके एक कमरेमें सागरदत्तको बुलाया, उसके साथ २ सोमक भी चला गया था। कमरेके भीतर आ जाने पर गोपायनने सागरदचको वडी निर्दयता के साथ छुरीसे गला काट कर उसके सब गहने उतार कर एक गठेमें गाड़ दिया। ___ कई दिनों तक बराबर कोशिश करने पर भी जब सागरदचके माता पिताको अपने बच्चेका कुछ भी पता न मिला तो उन्होंने जान लिया-किसी पापीने गहनों के लोमसे उसे मार डाला है। उन्हें अपने प्रिय बच्चेकी मृत्युसे जो कुछ दुःख
और बालकको गहने पहरानेकी भूलका पश्चाताप हुआ उसे वे ही लोग अनुभव कर सकते हैं जिनको कभी ऐसा देवी