Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 20
________________ गाहारयणकोसो ५. अथ सरस्वतीस्तुतिप्रक्रमः नंदउ सच्छंदगई निम्मलपयपूरगारवमहग्यो । जलहिपडिरुद्धपसरो सुकईण सरस्सईपवहो ॥१५॥ आसंसारं कइपुंगवेहिं तद्दियहगहियसारो वि । अज्ज वि अभिन्नमुद्दो व्व जयइ वायापरिप्फंदो ॥१६॥ पणमह पणमंतमहाकइंदसंकंतनयणपडिबिंबं । कयनीलुप्पलपूयं व भारईचरणनहनिवहं ॥१७॥ तं नमह भारई जीए चरणनहदप्पणेसु संकंता । बहुवयणा होति फुडं पणमंता तक्खणे कइणो ॥१८॥ * ६. अथ काव्यप्रशंसा सरसा वि हु कव्वकहा परिओसं कुणइ कस्स वि मणम्मि । फुल्लंति न सयलतरू वरतरुणीचरणफंसेण ॥१९॥ ललिए महुरऽक्खरिए जुबईजणवल्लहे ससिंगारे । संते पाइयकव्वे को सक्कइ सक्कयं पढिउं ? ॥२०॥ पाइयकव्वं पढिउं गुंफेउं तह य कुज्जयपसूयं(? णं)। कुवियं च पसाहेउं अज्ज वि बहवे न याणंति ॥२१॥ चिंतामंदरमंथाणमंथिए वित्थियम्मि अत्थाहे । उप्पज्जति [य] कइहिययसायरे कव्वरयणाई ॥२२॥ अणवरयबहुलरोमंचकंचुयं जणियजणमणाणंदं । जं न धुणावइ सीसं कव्वं पिम्मं च किं तेण? ॥२३॥ कइणो जयंतु ते जलहिणो व्व उवजीविऊण जाण पयं । अन्ने वि घ(? ज)णा भुवणे कुणंति धनाण उक्करिसं ॥२४॥ हिययाई सज्जणाणं रंजइ कसिणेइ खलयणमुहाई । कव्वं सुहासि पि हु जाण नमो ताण सुकईणं ॥२५॥ सालंकाराहि मणोहराहिं अन्नुन्नरायरसियाहि । गाहाहि पणइणीहिं वि डज्झइ हिययं अयंतीहिं ॥२६॥ छंदं अयाणमाणेहिं जा कया सा न होई रमणीआ । किं गाहा न हु सेवा ? अहवा गाहा वि सेवा वि ॥२७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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