Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 120
________________ पिट्ठस्स पंतीए सुद्धिपत्तयं असुद्धं तिगिन्निच्छलं रंजइ सविलासअद्ध 'रयणे W ० *१० सोहणीयं तिंगिग्निच्छ(?न्निं छल) रंजइ, सविलासमुद्ध 'रयणो उल्लसिरीहिं ॥४८॥ किन विसाहिया जित्तिएण ठाणवि पावि(व)यंतेण गुणाणं मामि ! खत्थेहिं परम्मुहं 'यारिणो ते वि न(?नो) दलइ सुयणु पलोयए होइ बाला सुकहा इइ(व) उल्लसिरेहिं ॥४०॥ जं न वि साहिया जित्तितएण बाण (? चाव)वि पावियं तेण गुणाणां मामिखत्थेहिं (१) परम्सुहं 'यारिणी ते वि न द(१ढ)लइ सुयण पलोवए Y Hr G बालासुकहा इइ वइइ वहइ शृङ्गार कसिणकं वाउ शङ्गार कसिण के वा(धी) वीय 'घोरघण 'मुच्छाअ ॥९६॥ बीय 'थोरघण' मुच्छाओ ॥३९६॥ my तीरइ सयचलिय सयदलिय काणेण कालेण तीरई ससियस्स सुसियस्स मदेनाल मदेनाल १ अत्र * एतादृक्फुल्लिकाविशिष्टानि शुद्धिस्थानानि 'वज्जालग्ग'ग्रन्थानुसारेण शोधितानि ज्ञेयानि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibran www.jainelibrary.org

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