Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 68
________________ ५१ गाहारयणकोसो ओ ! जोइमग्गपरिगयजलहरपेलंतघोलिरी विज्जू । निग्गयफुलिंगजलमाण[?माण]मयणासिलट्ठि व्व ॥६४८॥ वडवानलसंवलियं मन्ने पीयं घणेहि उयहिजलं । जेण समं विरसंता जालाओ [इ]मे तडिनिहेण ॥६४९॥ सहि ! दुर्मिति कलंबाई जह ममं तह न सेसकुसुमाइं । नूणं इमेसु दियहेसु वहइ गुलियाधणु कामो ॥६५०॥ जो इंदचावनिग्गयधारावाणेहि विरहिहिययाई । भिन्नाई न भिन्नाई विज्जुज्जोएण य निएइ ॥६५१॥ नीयंगमाहिं बहुजडपयाहि उम्मग्गपत्थियाहिं च । भज्जति जत्थ मग्गा कुसीलमहिलाहिं व नईहिं ॥६५२॥ ओ ! गरुयपयावो वि हु पच्छाइज्जइ धणेहि जत्थ रवी । अहवा कालवसेणं मलिणाण वि फुरइ माहप्पं ॥६५॥ जत्थ लहिऊण उदयं पाडंति तडद्मे गिरिणईओ । दूमंति कं न नीया वित्थरिया महिहराहिंतो ? ॥६५४॥ संताविऊण लोयं चंडकरो कत्थ संपयं नट्ठो ? । दिसि दिसि जलया तडिदीवियाहि मग्गं व जोयंति ॥६५५॥ निसइ व कसिणब्भनिसाणवट्टए कुवियपाउसकयंतो । गयवइगलट्रिकप्परणकुंठियं तडिलयकिवाणं ॥६५६॥ जलहर! वरिसिहिसि तुमं भरिहिसि भुवणंतराइं सयलाई । तन्हासुसिइ(य)सरीरे मुयम्मि बप्पीहयकुटुंबे ॥६५७॥ ४५. अथ शरत्यक्रमः अह मणहरचंदमुही बंधुज्जीवाहू(ह)रा कुवलयच्छी । फुडकलसवाणिया तह पिय व्य पत्ता सरयलच्छी ॥६५८॥ विमलमयंकाहरणो केयइदलभूइभूसियसरीरो । गोरीपई व्व बिलसइ उद्दीवियवम्महो सरओ ॥६५९॥ णंदियकुमुओ जोन्हासंपुन्नो चारुपुक्खरसणाहो । सुरवारणो व्व सरओ पसाहियासो समोवइओ ॥६६०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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