Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 85
________________ सुभासियगाहासंगहो अंधारिऊण वयणं विरसं रसिऊण मामि ! खत्थेहिं । तह जलहरेहि दिन्नं पउरं पि जलं अलं तेहिं ॥ १४ ॥ महिलं महोअहिं महमहो वि जं सुयह तस्स उच्छंगे । तं चिय नीइविरूद्धं, अहवा छज्जइ समत्थाण ॥ १५ ॥ ता निग्गुण च्चिय वरं पयणुयलंभेण जाण परिओसो । गुणिणो गुणाणुरूवं फलमलहंता किलम्मंति ॥१६॥ अब्भत्थिओ वि सयवत्तवणसिरी हरइ जं निसानाहो । तं तस्स नेय जुत्तं, अहवा का लज्ज सकलंके ? ॥१७॥ होही बली सुरिंदो तुटेण मुरारिणा न संदेहो । बद्धो पायालगओ एसो सदो न फिट्टेही ॥१८॥ निव्वडियपुरिसयारे असच्चसंभावणा वि संभवइ । एक्काणणे वि सीहे जाया पंचागणपसिद्धी ॥१९॥ तं सदं तं धवलत्तणं च तं चेव महुयही जम्मं । संखस्स हिययकुडिलत्तणेण सयलं समुप्फुसियं । २०॥ हारो उरस्स, सवणाण कुंडले, मेहला नियंवरूप । नयणाण पुणो गरुए वि ऊसवे कज्जलसलाया ॥२१॥ जो जत्तियस्स अत्थस्स भायणं सो उ तेत्तियं लहइ । वुटे वि दोणमेहे न डुंगरे पाणिय ठाइ ॥२२ उवभुंजिउं न सक्कइ रिद्धि पत्तो वि पुन्न परिहोणी । पउरं पि जलं तिसिओ वि मंडलो लिहइ जोहाए ॥२३॥ अच्चासन्ने परिगलइ गारवं सुहय! तुज्झ को दोसो ? । नियअच्छी वि न पेच्छइ पडिलग्गा कज्जलसलाया ॥२४॥ ठाणेसु गुणा पयडा, ठाणाणि गुणेहिं पायडिज्जंति । सोहइ नयणेहिं मसी, मसीए सोहंति नयणाई ॥२५॥ वरतरुणिनयणपरिसंठियस्स जं कज्जलस्स माहप्पं । दीवयसिहा[ए] ण तहा, ठाणेसु गुणा विसति ॥२६॥ वरतरुणिसिहिणपरिसंठियस्स हारस्स होइ जा सोहा । सिप्पीपुडम्मि न तहा, ठाणेसु गुणा विसटुंति ॥२७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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