Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 76
________________ गाहारयणकोसो तह नीससियं जूहाहिवेण चिरविलसियं सरंतेण । जह गहियं तिणकवलं सरसं पि हु झत्ति पज्जलियं ॥७५०॥ नियतहालिद्धस्स वि वल्लहघरिणीमुहं सरंतस्स । सरसो मुणालकवलो गयस्स हत्थे च्चिय मिलाणो ॥७५१॥ अज्ज वि तं सरइ गो मज्जतो सरवरम्मि लीलाए । जं करिणिकरग्गुम्मूलिएण पहा मुणालेण ॥७५२॥ वियलियमएण गयजोव्वणेण हल्लंतदंतमुसलेण । अज्ज वि उलं सणाहं जूहाहिवई जियंतेण ॥७५३॥ रेवाणइतीरुक्कंपिएण तह कहवि तेण निस्ससियं । जह सुन्नमणस्स गयं गएण न हु लक्खियं जीअं ॥७५४॥ रायंगणम्मि परिसंठियस्स जं कुंजरस्स माहप्पं । विंझगिरिम्मि न तहा ठाणेमु गुणा विवइति ॥७५५।। सित्थेण किं व रितं करिणो कवलावसेसपडिएण । तं पुण तेणं चिय जियइ बप्पुडं कीडियकुडंब ॥७५६॥ ५५. अथ करभप्रक्रमः कंकेल्लिपल्लवोव्वेल्लमणहरे जइ वि नंदणे चरइ । करहस्स तह वि मरुविलसियाई हियए खुडुक्कंति ॥७५७॥ पुणरुत्तपसारियदीहकंधरो करह ! किं पलोएसि ? । कत्तो लभंति मरुत्थलीओ दिव्वे पराहुत्ते ? ॥७५८॥ तं जीहाए विलग्गं किं पि फलं मामि ! तस्स तद्दियहं ।। बोक्करइ वक्खिओ(? चक्खिउं) सणवणाई करहो धुयग्गीवो ॥७५९॥ नीससिय रुयसि झिज्झसि झुरसि चिंतेसि भमसि उबिंबो(?उव्विग्गो)। सा मरणस्स करणं करह ! तए चक्खिा वल्ली ॥७६०॥ उयह महीहरउच्छंगसंगदक्खाए कह व पत्ताए । करहेण उज्जुएणं अहरदलग्गं पि न हु मुक्कं ॥७६१॥ सरलाओ नवनवाओ अणवरयं जइ वि चरइ वल्लीओ । तह वि [? हु] हियम्मि सया करहो दक्खारसं सरइ ॥७६२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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