Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 69
________________ ५२ सिरिजिणेसर सूरिविरइओ आसन्न सिसिरभयकाय रेहिं लोएहिं महियले सयले । दीवालियाए दीवयमिसेण ठाविज्जइ हुयासो ॥ ६६१ ॥ airs sarata य पाउससमयस्स विज्जुदुष्पिच्छं । सरण मंडलग्गं व भग्गधारं जलयबिंबं ||६६२|| अंतो पलिप्यमाणो अणवरयं विज्जुपुंजजालाहिं भूईभावं व गओ नहंगणे जलहरुघाओ || ६६३॥ दूरोणrror ओहराए विरहम्मि पाउससिरीए । कहमापायड पवियंभियावपसरो रवी होउ ? ||६६४॥ उवरिनिवेसियणलिणीदलाओ तणुईओ बद्धवेणीओ | सरियादइयाओ ठिया पओस ( ? पाउस ) दइयस्स विरहमि ||६६५ || गयणच्छिणो गतस्स कालिमापिहिय [ ?तार ] तारस्स । दे सरओ सिesi [ ? ] पयडपडलं व || ६६६॥ उयह नहं मज्झगएक मेहमोव्वंत संतयजलोहं । सरस्स फलिहदंडं मरगयरयणायवत्तं व ॥ ६६७॥ पायालोयरगमणा कयघणकज्जा फणि व्व फुडमणिणो । Eshaniडा महीए दीवा विरायंति ||६६८ | भंड भंडघोलिरवियसियस्यवत्तपरिमलमहग्घो । कस्स न जणेइ एसो सरओ सुरओ व्व उम्मायं ॥ ६६९ || * ४६. अथ हेमन्तप्रक्रमः अवर्णितो संतावं हेमंतो सज्जणो व्व अल्लिया । दुज्जणवयणेण व तावियाण लोयाण सरपण || ६७०॥ कस्स न सद्धा गरुयत्तणस्स पइणो पसायमइयस्स । जर माणभंजणीओ न होज्ज हेमंतरयणीओ ||६७१॥ हेमंते घणपेल्लणथणयड संकंतकुंकुंम फंसो | कामीण गलइ सेओ रुहिरुग्गारो व्व सीयस्स ||६७२ || ari गमंत विरहानलेण विरहानलं पि सीएण । तेण न मरंति पहिया, विसस्स विसमोसहं जेण ॥ ६७३ || Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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