Book Title: Gaharayankosa
Author(s): Jineshwarsuri, Amrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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गाहारयणकोसो सिकच्चोलयढलिओ जोन्हाखडियारसो समीकुणइ । नक्खत्तऽक्खरमालं नहफलए तिमिरकज्जलिए ॥५७०॥ जोन्हाजलोहधोए तिमिररए उग्घडेइ ससिविंबं । लंछणकसिणाहिसहो मयणस्स निहाणकलसो व्व ॥५७१॥ रयणिरमणीए ससिपियकरफंसोल्लसियसेयबिंदहि ।। विप्फुरियं पिव गयर्णिदनीलसयणं उडुमिसेणं ॥५७२॥ मित्तविरत्तं पि पियं कुमुयं, पउमं न मित्तरत्तं पि । ससिणो, अहव जडाणं गुण-दोसवियारणा कत्तो ? ॥५७३॥ नरसिरकवालसमसीसियाए बद्धो हरेण जं चंदो । अमयमओ जंन मओ ता कि किसिओ विमोहो उ ॥५७४॥
३९. अथ कुमुदप्रक्रमः फुटुंति त्तिएणं मयरंदभरेण इयरकुसुमाई । बाहिरदलेसु परिलुढइ तेत्तियं पुंडरीयस्स ॥५७५॥ का समसीसी सह पंकएण इयराण कुसुमजाईसु । दरवियसिए वि अइवियसिआइं उअरे समायंति ॥५७६॥ रेहंति कुमुयदलनिच्चलट्ठिया मत्तमहुअरनिवाया । ससियरनीसेसपणासियस गंठि व्व तिमिरस्स ॥५७७॥ दोसायरेण वियसइ, मउलइ मित्तागमेण जस्स मुहं । तमणिद्वगुणं कुमुयं सिरि धरिउं के न इच्छंति ? ॥५७८॥ मित्तत्थमणे वियसंति, जाइं मउलिंति मित्तउइयम्मि । कुमुयाइं ताई सुमुयाई होंति जाणेरिसं चरियं ॥५७९॥ ओ ! रायवल्लहं पि हु करहिं मं छिवइ एस गोवालो । इय लज्जाए कुलीणा संकुइया कुमुइणी सहसा ॥५८०॥
४० अथ प्रभातप्रक्रमः निभरनिदासम्मिल्लपम्हजुयलाई होति मिहुणाणं । अंतोसुहपरिरक्खणघडियकवाडाइं वऽच्छीणि ॥५८१॥ पसरियपच्चूमसमीरविलुलिओ गयणपायवाहितो । अवसायजललवोहो व्व गलइ तणुतारयानिवहो ॥५८२॥
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