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लेके आऊं तब जंगल जावे यह दूसरा मूर्ख २। तीसरे राजाके मंत्री भी मूर्ख है कि जिसने सभीको जगह बराबर दी। और चितारे तो पुत्रादिकपरिवारवाले हैं और मेरा पिता तो अकेला है और वृद्धभी है कोई| सहायक नहीं उनको सरीखा भाग देना यह तीजा मूर्ख है। चौथे आपही मूर्ख हो मेरे लिखेहुवे मोरको पकड़नेको हाथ डाला कि जिससे अँगुलियें दुख गई ४ । इस चातुरीसे रंजित हुवा राजाने उस कनकमंजरी साथ पाणीग्रहण किया। बाद रात्रिमें राजारतिक्रीड़ाकरके जब सोता तब पहले की संकेत कीहुई दासीने पूछा हे खामिनि ! कोई कथा कहो, तब राणी बोली एक नगरमें एक हाथका मंदिर जिसमें ४ हाथकी प्रतिमा तब दासी वोली यह कैसे बने । राणीने कहा आज तो नींदआती है वास्ते कल कहूंगी। दूसरे दिन राजा औरभी कथा सुननेको आया जब सोया तब
ही दासीने पूछा कलकी कथाका क्या परमार्थ है ? रानी बोली एक हाथकी देहरीमें चारभुजावाली कृष्ण-31 हजीकी मूर्ति थी? और कथा कहो ? तब रानी बोली एक स्त्री घड़ेमें रत्न रखके ऊपर मट्टीका खामण लगाके और है वह पानी लेने गई। पानी लेके जब आई तब दूरसे ही घडेको देखके बोल उठी कि मेरे रत्न किसने निकाललिये।
दासी बोली कि खामिनि ! घड़ा उघाड़ेसिवाय कैसे जाना ? तब कनकमंजरी बोली कि कल कहूंगी । तीसरे । दिन फिरभी राजा आके सोया और दासीने पूछा तब राणीने कहा वह घड़ा काचका था। बाद औरभी 31 दासीने कहा कथा कहो तब राणी बोली कि एक गांवमें एक ब्राह्मण रहता था। उसके ४ लड़के थे और एक
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