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दीवा० व्याख्या०
भा०
॥४६॥
पृथ्वी बहुतही सुंदर होगी।बिलवासी मनुष्य बिलोंसे निकलेंगे।पुष्पफलाहिसहित वृक्षादि देखकर ऐसाकहेंगे मांस दूसरे तीनहीं खाना ॥ धान्यपुष्प फल वगैरेहः खाना ऐसा परस्पर कहके धान्यादि खावेंगे ॥ जैसा जैसा कालआयेगा सरे आ० वैसा वैसा रूप संघण आयुष्य बढ़ेगा। सुखकारी वायुःचलेगा॥ऋतु सर्व सुखदाईहोंगी॥ तिर्यश्च मनुष्य रोगरहित होंगे॥ दूसरे आरेमें मध्य खंड में सात कुलगर होवेंगे ॥ विमलवाहन १ सुदाम २ संगम ३ सुपार्थ ४ दत्त ५ सुमुख ६ समुचि ७ ये सात कुलगरों में पहले कुलगर विमल वाहन जातिःस्मरणपूर्वक राज्यके वास्ते गाम नगर वगैरह बसावेगा ॥ और भी हाथी घोड़ा वगैरह का संग्रह करेगा ॥ शिल्प, व्यवहार, लिपि गणतादिक लोगोंको सिखावेगा अग्नि उत्पन्न होगा विमलवाहन राजा लोंगोंको रसोईवगैरहःबनानेका उपदेशकरेगा ॥ दही दूध, घी वगैरहःका सब व्यवहार होगा ॥ असिमसिःकसिःसे लोग आजीवका करेंगे॥यह व्यवहार दूसरे आरेमें होगा। पांचवें आरके सरीखा दूसरा आरा जानना ॥ परन्तु पांचवें आरेमें उतरता काल होवे है दूसरे आरेमें चढ़ता 8 काल होवे है इतनाही विशेष है ॥वाद तीसरा आरा लगेगा। उसका नयासी पखवाडा जानेसे शत द्वारपुरनगरमें समुचि राजाकी भद्रानामकीमहारानीके चौदह स्वप्न सूचित श्रेणिकराजाका जीव पहला तीर्थकरपद्मनाभनामका पुत्र
W॥४६॥ होगा जन्ममहोत्सववगैरहः महावीरखामीके सरीखा जानना ॥ कैसे पद्मनाभ तीर्थकर सातहाथका शरीर सोनेके जैसावर्ण सिंहका लान्छन वहतर वर्षका आयुऐसे पहले तीर्थकर होवेंगे बाद पहलेके सहित तीर्थकरप्रातिलो
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