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मुनिनहीं कहेहै तब राजारानी वारंवार प्रार्थना करी तब मुनि मनमें दया लाकर बोले हे राजन् तुमारे पुत्र होनेवाला है परंतु पांगुला होगा ऐसा कहके मुनि गये तव राजा रानीने विचारा हमारे पंगुभी पुत्रतो होगा। क्रमसे रानी गर्भवती भई पूर्ण कालमें पांगुला पुत्र जन्मा राजा पुत्रजन्मकी वधाई सुनके हर्षितहुआ । महोत्सव कराया ॥ बारहवें दिन सब कुटुम्बको भोजन कराके कुमरका पिंगलराय ऐसा नामकिया बाद कुम-*
रको अंते उरमें रक्खा बाहर प्रगट नहीं किया जब लोंगोनें पूच्छा तब उसप्रकारसे बोले कुमरका रूप अतिअद्भु-15 दूतहै दृष्टिदोप न हो जाय इस लिये बाहर नहीं निकालते हैं ॥ तब सबनगरमें ऐसी प्रसिद्धिभई कि पिंगल |
राजकुमरके सदृश पृथ्वीपर और कोई रूपसौंदर्यवान् नहींहै वाद क्रमसे कुंवर बड़ा हुआ इसअवसरमें अयो-है। ध्यासे सवास योजनदूर मलयनामका देश है ॥ वहां ब्रह्मपुरनामका नगर है वहां इक्ष्वाकुवंशी काश्यपगोत्रीय शतरथ नामका राजा उसके इन्दुमती नामकी पटरानी उन्होंके गुणसुंदरी नामकी पुत्रीहुई ॥ अतिशय रूपलावण्य सौभाग्यादि गुणयुक्त होतीहुई । उसराजाके पुत्रनहींथा एकही पुत्री थी ॥ इस कारणसे माता पिताके | अत्यन्त वल्लभथी ॥ बाद पुत्रीको वर योग्यजानके उसके योग्य नहीं वर मिलने से राजा उसके विवाहकी चिंतामें 2 आतुर हुआ ॥ उस अवसरमें उसनगरके रहनेवाले व्योपारी बहुतप्रकारके क्रयाणोंसे गाडाभरके देशान्तर जानेको तय्यार भये तब उन्होंसे राजाने कहा ॥ देशान्तर फिरतेहुए तुमको गुणसुंदरी योग्य वरकी प्राप्ति होवे ।
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