Book Title: Dwadash Parv Vyakhtyana Bhashantaram
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 169
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie वान्ने श्रेयांसके घरमें वैशाख सुदी तृतीयाके दिन पारणा किया उस दानसे श्रेयांसने अक्षय सुख पाया इससे द्रवह दिन अक्षय तृतीया करके प्रसिद्ध हुआ वाकी अजितनाथस्वामी वगैरह तेईस तीर्थंकरोंका खीरखांघृतरूप परमान्नसे पहला पारणा भया ॥ अब पांच दिव्य कहते हैं। Pाघुटुं च अहो दाणं, दिवाणि य आहयाणि तूराणि । देवावि सन्निवाइया, वसुहाराचेववुद्राय ॥१॥ | अर्थ:-जब श्रेयांसके घरमें भगवान्ने पारणा किया तब देवोने आकाशनें अहो दानं अहो दानं ऐसी उद्घो६षणा करी और देवोंने दिव्यवादित्र बजाए दुंदुभी बजाई तिर्यगजृम्भकादि बहुतदेव आए साढाबारह करोड़ 81 सोनइया वगैरहका वर्षात् हुआ सुगंध जल और सुगन्ध पुष्पोंका वर्षात् हुआ ॥ भवणं धणेण भुवणं, जसेण भयवं रसेण पडिहत्थो।अप्पा निरूवमसुखं, सुपत्तदाणं महग्यवियम् ॥२॥ का अर्थः-जिसवक्त में श्रेयांस कुमरने भगवान्को पारणा कराया उसवक्त श्रेयांसका घर धनखर्णरत्नादिकसे भरागया खर्ग मृत्यु पाताल तीनलोक यशसे भरागया अहो श्रेयांस कुमरने तीनलोकके खामीको वारहमहीनों तक किसीने नहीं दिया ऐसा दान दिया ऐसी तीनलोकमें कीर्ति भई भगवान् ऋषभदेवखामी इक्षुरससे तृप्तभए PAISAIASHARATHIR *** For Private and Personal Use Only

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