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या बहुत धन जिसन्द्रवतीनामको पतन है। वहाँप करके कहो।
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किसीनेभी एकादशीका व्रत किया है। और उसके कैसी फलप्राप्ति भई सो कृपा करके कहो॥खामी बोले धातकी खंड द्वीपमें इसुकारपर्वतसे पश्चिमदिशातरफ विजयनामका पत्तन है ॥ वहां पृथ्वीपालनामका राजा हुआ उसके औदार्य चातुरी शीलादिगुणको धारणेवाली चन्द्रवतीनामकी रानी होती भई ॥ उस नगरमें व्यवहारियोंमें शिरो-13 मणि बहुत व्यापारसे कमायाहै बहुत धन जिसने उभयकालप्रतिक्रमण करनेवाला सत्पुत्रयुक्त जिनभक्तिःका करने वाला शूरनामका सेठ होताभया ॥ एकदा वृद्धअवस्थामें गुरूको भक्तिःसे नमस्कारकरके पूछा हे भगवन् ऐसा धर्म कहो जिसको थोड़ाकरनेसेभी कर्मक्षय होवे ॥ गुरूने मौनएकादशीका ब्रतकरना कहा ॥ बाद सेठने घरआके ग्यारहवर्ष ग्यारहमहीनों तपकिया ॥ ब्रतकी समाप्तिमें सेठने विधिःपूर्वक उजमणाकिया ॥ बाद उजमणेसें पन्द्रह दिन अकस्मात् पेटमेशूल होनेसे मरके ग्यारहवें आरणदेवलोक में इकीससागरोपमकाआयुःऐसा देव हुआ॥ देवलोकका सुख भागवके वहाँसै च्यवके शौर्यपूर नगरमें समृद्धिदत्तव्यवहारीके घरमें प्रीतिमती स्त्रीकीकुक्षिमें पुत्र उत्पन्नहुआ। जब जन्मभया तब नाला गाड़नेकेवास्ते जमीन खोदी उसमें निधान निकला ॥ बहुतहर्षहुआ वधाईकरी ॥ दशदिनतक सेठने बहुत द्रव्य खर्चके जन्मोत्सव किया ॥ अशुचिःकर्म निवर्तहोनेसे बारहवें दिन जाति-15 वालाको भोजन कराके सेठबोले जब यहबालक पेटमेंथा तब माताकी व्रतकरनेकी इच्छाभईथी इससे इस बालकका नाम गुणनिष्पल सुव्रत ऐसा हो ऐसा कहके मातापिताने सुव्रत ऐसा नाम दिया । और मंगलादिकके जैसा निरर्थकनहीं ॥ कहाहै ॥
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