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दीवा०
पंचम आरेका स्वरूप
॥४४॥
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उद्धार करावेगा यहां कलंकीके अधिकारमें शत्रुजयमहात्म्य त्रिषष्टिशलाका चरित्रवगैरह, शास्त्रों में संवत् विपई कितनेक विकल्प हैं सो बहुश्रुत जाने ॥ महानिशीथसूत्रमें श्रीप्रभसूरियुगप्रधानके वक्तसें कलंकी 8
राजा होगा ऐसा कहा है इस वचनसे भगवान्के निर्वाणसे दशहजार पांचसै त्रानवे (१०५९३) वर्षमें आठवें ६ उदयमें संभव है ॥ ग्रंथान्तरमें प्रातिपदाचार्यः लिखा है ॥ इति ॥ अब पांचवें आरेमें चतुर्विधसंघ साधुः, साध्वी
श्रावकः श्राविकाकी संख्या कहे हैं ॥ ग्यारह लाख सोलह हजार (१११६०००) इतना राजा पांचवे आरेमें 5 जिनमतके भक्त होवेंगे ॥ एक करोड जिनशासनके प्रभावक मत्री होवेंगे ॥ और पांचवे आरेमें श्रीसुधर्माखामी प्रमुख दो हजार चार (२००४) युग प्रधानपदके धारक महोपकारी आचार्यहोगे। उन्होमें सुधर्मा खामी जम्बू खामी उसी भवमें मोक्ष जावेंगे और (२००२) आचार्य एकावतारी होवेंगे ॥ और युगप्रधानसदृश आचार्य प्राणियोंके मोहअन्धकार दूरकरने में सूर्यसदृश ग्यारह लाख ग्यारह हजार सोलह (११११०१६) औरभी आचार्यः चारित्रके पालनेवाले होवेंगे ॥ तेतीसलाख ४ हजार चारसे उन्नीस (३३०४४१९) इतने मध्यमगुण है धारि आचार्याः होंगे और पांचवे आरेमें पचपनकरोड पचपनलाख पचपनहजार पांचसै पचीस (५५५५५५५२५)1 इतने अधमाचार्यः होंगे ॥ पचपनलाखकरोड पचपनहजारकरोड चवालीसकरोड इतने उपाध्यायवाचना-5 चायःहोंगे और सत्तरहलाखकरोड और नवहजारकरोड इकसौइक्कीसकरोड एकलाख साठहजार इतने साधु
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