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हजार ( १०००० ) रथ ग्यारह ॥ ( ११००००० ) लाख घोड़ा ( १८००००० ) अठारहलाखप्यादा इतनीसेना | होगी कुमारपाल राजा एकदा प्रस्ताव में वज्रशाखा में देवचन्द्रसूरिः केशिष्य श्री हेमचन्द्रसूरिः को नमस्कारकरेगें ॥ और धर्मोपदेशसुनकर सम्यक्त्वसहित श्रावक के बारह ( १२ ) व्रत अंगीकार करेगा || देवगुरुको नमस्कार किये | विना भोजननहीं करेगा ॥ दृढव्रतके पालनेवाला पृथिवीको जिनप्रासादोंसे मंडित करेगा || एकदा प्रस्तावमें श्रीहे - |माचार्य के मुख से तीर्थों के अधिकार में श्रीजीवितस्वामी की मूर्तिः का सम्बन्ध सुनके अपने पुरुषों को भेजके वह प्रतिमा| मंगवावेगा ॥ पट्टन में जिनमंदिरमें स्थापेगा | प्रतिमाकी पूजा के वास्ते उदाई राजाने जो ग्रामादिकदिये थे, उतनाही ग्राम कुमारपालराजा देवेगा || निरंतरविशेषपूजाकरेगा ॥ सदासंतोषी, चौमासे में अखंड ब्रह्मचर्यपालनेवाला अटा| रहदेशमें अमारीपटह वजवावेगा | उसके राज्य में कोई जूंलीखभी नहीं मारसकेगा वर्षाकालमें इसकी सेना कहाभी नहींजावेगी जीवरक्षा में बहुतही विचक्षण होवेगा ॥ पंचमकाल में कुमारपाल जैसा कोई धर्मी राजा नहीं होवेगा और | गौतम पांचवें आरे में कलहकरनेवाले भववृद्धिकरनेवाले असमाधिके स्थान अनिर्वेद करनेवाले ऐसे साधुनामके धारनेवाले पांचभरत, पांचऐरवत क्षेत्रमें होंगे और मंत्रतंत्रयंत्रादिकमें नित्यउद्यम करेगा || आगमका अर्थ जानने वाले थोडेहोंगे || सिद्धांतका अभ्यास कोई बिरला करेगा | ज्योतिष, वैद्यक वगैरहपढ़ेंगे || उपकर्ण वस्त्रपात्रादिक उपकर्णके लिये वर्षाकालमेंअप्रीतिकरेंगे || राजा प्रजाकेपासमें जबरदस्ती दंड लेगा | वैसा साधु श्रावकके पास में
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