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| दौड़ा कलिकेसाथ युद्धकरनेलगा कलिने भीमको लीलासे जीतलिया | दूसरे प्रहरमें कलिपिशाचने उसी तरह अर्जुनःकोजीता ॥ तीसरे पहरसे नकुलको जीता || चौथे प्रहरमें सहदेवभी जीतागया || बाद चारो भाई पराजयपाके | सोगयै ॥ बाद युधिष्ठिरजागे तब कलिः पिशाच आके बोला हे राजन् तुम्हारे सामने चारों भाइयों को मारूंगा । ऐसा प्रेतका बचन सुनके युधिष्ठिराजाने बिल्कुलकोध किया नहीं और पीछा उत्तरभी नदिया सर्व कल्याणकी करनेवाली | सर्वप्राणियों से प्रीतिः उत्पन्न करनेवाली सर्व धर्म में प्रधानऐसी क्षमाकरके रहा | तब कलिपिशाचभी शांतभया । राजाकी मुट्ठी में आया बाद सबभाईउठे रात्रिकावृतान्तकहा तब राजानेमुट्ठी उघाड़के अपने बसभ्या पिशाचको | दिखाया | राजा बोले क्षमाके प्रभावसे यह मेरे वस हुआ है तुमने क्रोध किया इससे हारे ऐसे एकसे आठ (१०८) दृष्टांत लौकिकपुराणादिकमें कलियुग के वर्णन में कहे हैं । पुन हे गौतम पांचवे आरके मनुष्योमें प्रायः लज्जा नहींहोगी निष्कलंक कुलवाले थोड़े होवेंगे ॥ सम्यक वस्तुवोंकी पृथ्वीपरहानिः होगी || छोटेलड़के और | जवानोंका मरण जादाहोगा ॥ मातापिताका बड़ा आयुष्य होगा ॥ त्राह्मण शस्त्र धारनेवाले वेदपाठ षट्कर्मव|र्जित्वहुतसे होगे ॥ खधर्मनिष्ठ थोडे होंगे पुत्र मातापिताका विनय नहीं करेंगे दुःखदेवेंगे बहुआं सासुओं का विनय नहीं - | करेंगी ॥ सासु कार्य कहनेपर वह रोषकरके सर्पिणिके जैसी प्रत्युत्तर वचनरूप डंक देवेगी ॥ सासु कालरात्रिः तुल्य बहूकी निंदा करेगी | जैसे लोगोंको कालरात्रिः दुर्दध्यहो ये है वैसा सासुःभी बहुओं को ताडनतर्जनकरती दुर्लध्य
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