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दीवा० खुशामदकरेंगे कार्य हुएके बाद शत्रु बनजावेंगे ॥ और हे गौतम ॥ लोग औरोंको तकलीफकरनेमें तत्पर होवेंगे ॥ पंचम व्याख्या और पंचमकालसम्बन्धी जीव महानिर्दयी दीर्घरोषवाले भद्रकजीवोंको ठगेगा॥ धर्म मूर्तिमन्त थोड़ा होगा। पाप
आरेका करनेवाले बहुत होवेंगे अत्यन्तलोभीमिथ्यात्वी, अभिमानी, अनाचारी, अन्यायी बहुत लोग होवेंगे ॥ और हे
स्वरूप ॥३९॥
गौतम कुलबहुआं कुलमर्यादारहित वेश्यासदृशहोंगी ॥ राजा प्रजापर बहुतदंडकरेगा ॥ पृथ्वीपर तिमिङ्गलन्याय ठहोगा चौर के कुल चौर होवेहै । परन्तु राजाभी चौरसदृश होवेंगे ॥ लोगोंका धन लेके दरिद्रीकरेंगे ॥ और हे||१||
गौतम पंचमकालमें लोगोंको अग्निसे बहुत उपद्रव होगा गाय वगैरहःजीवोंका बहुत वध होगा। जिनमंदिर पड़ेंगे है और दुःख, दारिद्र, उपद्रव जनमारीप्रमुखसे पृथ्वी शून्यवत् होजायगी देशभंग होगा लोग प्रेत सदशहोवेंगे।
राजा लोभी होगा। लोग अविवेकी, मूर्ख, कलाहीन होवेंगे॥ दातार दरिद्री होंगे कृपण धनवान होंगे पापी बहुत होंगे ६धर्मी कम होंगे धर्मियोंका आयुःथोडा होगा पापियोंका आयुःजादा होगा ॥ राजा लोग हीन बलि होगे नीच
कुलके बलवान राजा होवेंगे उत्तम कुलवाले नीचकुलवालोंकी सेवा करेंगे सजन मनुष्य दुःखी होंगे दुर्जन मनुष्य सुखी होंगे इसप्रकारसे हे गौतम पांचवे कालका खरूप जानो ॥ और लोकमेंभी कलियुगखरूप इसप्रकारसे कहाहै 3
द्वापर युगमें राजा युधिष्ठिरभया एकदिनवनमें गया ॥ वहां बड़ीगऊछोटीगऊका स्तनपानकरतीभई देखी ॥ ब्राह्म- ॥३९॥ दाणसे पूछा यह आश्चर्यहै ॥ तब ब्राह्मण बोला हे महाराज कलियुगमें हीनसत्वमनुष्य धन बिना दुःखीहोवेंगे
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