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चातुमासिक
निकारकडे सर्व मिलाने मारा
॥१६॥
नहिजावे और वस्तुभी नहिलेवे ऐसे अभिप्रायसे ५ इसप्रकारसे १२ व्रतके ६० अतिचारकहे सर्व मिलानेसे व्याख्या४|१२४ अतिचारहोतेहे इन्होंमें जोकोईअतिचारलगेहोवे उन्होंका मुझे मिच्छामिदुकडंहे ऐसा संघादिसमक्ष 8 नम्. है कहना उससे सर्व इष्टार्थकीसिद्धिहुवे.
इतनेकहनेकर चौमासीव्याख्यानपूराहुवा.
अग्रेतनवर्त्तमानयोगः॥ ___ अब अट्ठाईका व्याख्यानलिखतेहें. श्लोक-शान्तीशं शान्तिकारं-नत्वा स्मृत्वा च मानसे ।
अष्टाह्निकाया व्याख्यानं-लिख्यते गद्यबंधतः॥१॥ अर्थ-शान्तिकेकरनेवाले श्रीशान्तिनाथस्वामीको नमस्कार करके और मनमेस्मरणकरके अट्ठाईका व्याख्यान गद्यबन्ध लोकभषामें लिखताहुं ॥ १ ॥ यहां पवाधिकारमें सम्पूर्णदुस्कर्मदूरकरनेवाला निर्मलधर्म ॥१६॥ ६ कार्यकियेजांयें जिसमें ऐसा इसभवमें परभवमें बहुतसुखहोवेजिससे ऐसा श्रीपषणापर्वआएथके सम्पूर्ण
देवेंद्र असुरेंद्र एकडेहोके श्रीनंदीश्वरनामके आढमेद्वीपमें धर्ममहिमाकरनेके लीये जातेहे वहां नंदीश्वरद्वीपके
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