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चातु
अर्थ-अपना मांस लोकमें दुर्लभ है. कि लाखों सोनइयोंसे भी नहीं मिले औरोंका मांस थोड़ी किंमतसे मिले व्याख्या. मासिक- अर्थात् विचारे पशुवोंका माँस सुलभ है इस प्रकारसे औरोंको भी अभयदानकी बुद्धि धारनी॥
नम्. तथा-तपदुष्टकर्मोंका विनाशकरनेवाला संपूर्णलब्धिको उत्पन्नकरनेवाला वाह्य अभ्यंतर भेदसे १२ प्रकारका है कर्मों की निर्जरा करने में प्रधान तप कारण है तप दृढ प्रहारीके जैसा भव्य प्राणीको अंगीकार करना। दि तपोमुखानि-यहां मुख शब्द आद्यर्थ होनेसे भावनादिकका ग्रहण करना वह भावना भरतचक्रीके जैसी *भावनी इतनें कहने करके ब्रह्मक्रियादिक ३ पदकी भावना कही और इस चौमासे पर्वमें धर्मार्थी प्राणियोंको
आत्मनिन्दा करनी, परनिंदा नहि करनी। यहां चितारेकी पुत्रीका दृष्टान्त है, जैसे कांचनपुरके स्वामी जित४ शत्रु राजाने एक नवीन सभा कराई और उसमें चित्र करानेके लिये मंत्रीने चितारोंको सभामें भाग बेंचके दिया। उनमें एक बुढा चितारा था। उसकी पुत्री जब भोजन लेकर आवे तब वह कायचिंता करनेको जावे .
तब पीछे रही लड़कीने एक मोर लिखा राजा जब सभा देखने आया तब उस मोरको जीता समझके पक18|ड़नेको हाथ डाला तब कनकमंजरी चितारेकी पुत्री हसके बोली, अहो तीन तो देखे मगर चौथा भी मिला-18|॥११॥
राजाने पूछा, यह क्या कहा तब वा बोली महाराज ! एक तो मैं रसोई लेके आती थी तब बाजारमें एक *आदमी घोड़ा दौडाता जाता था वहां पुण्ययोगसे में बची वह पहला मूर्ख १। दूसरे मेरे पिता जब मैं भोजन
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