Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh
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________________ . // ॐ अहम् नमः // ENIP श्री दंडक प्रकरण (वियार स्तव, विद्यार षट् त्रिशिका, विज्ञप्ति - षट् त्रिंशिका) सार्थ रचथिता: श्री गजसार मुनि इस ग्रंश्व के दूसरे नाम . (1). दंडक पदों को मुख्य रखकर विवेचन किया गया है अतः इस ग्रंथ का नाम दंडक प्रकरण है (2) दंडक पदों को मुख्य रखकर विवेचन किया गया है कि सभी उसके उपर जिन जिन द्वारों से आगमो में विचार किया गया है यह विचार महत्वपूर्ण होने से तथा प्रकरण की मूल गाथा 36 होने से : दूसरा नाम विचार षट् त्रिशिका है। (3) इस प्रकरण की रचना इस तरह की गई है कि दंडक पद पर विचार होता रहें एवं तीर्थंकर भगवंतो को विनति रूप स्तुति होती जाय अतः तीसरा नाम विज्ञप्ति षट् त्रिशिका भी है। (4) विचार एवं विनंति को साथमें जोडने से विचार और विज्ञप्ति याने विचार स्तव ऐसा चौथा नाम भी है (5) दंडक पदों पर आगमों में बहुत ही विस्तार से अनेक द्वारों का विवेचन मिल रहा हैं तब इस ग्रंथ में बताए द्वार. उनका मर्यादित . प्रचलित विशेष उपयोगी मुख्य संग्रह हैं / अतः लघु संग्रहणी . ऐसा पाँचवा नाम भी है। (3,4,10,16,17 वी गाथाएँ स्पष्ट रूप से अन्य ग्रंथोकी मालुम हो रही है / ) -