Book Title: Charitrya Suvas
Author(s): Babulal Siddhsen Jain
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 14
________________ अहिंसाका पुजारी संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) और हरियाणाकी सीमाके पास, दिल्लीसे लगभग १२० कि.मी. उत्तरकी ओर सहारनपुर नामका नगर है। वहाँके एक प्रसिद्ध जमींदार लाला जम्बूप्रसादजीके जीवनकी यह घटना है। वर्तमान शताब्दीके प्रथम दशकका यह समय, तब अंग्रेज अधिकारीयोंकी खूब धाक। वहाँके अंग्रेज कलेक्टरने लालाजीसे शिकार करनेके लिए उनका हाथी माँगा। लालाजीने कहा : 'साहब, शिकारके लिए मैं हाथी हूँ तो मेरा अहिंसाधर्म लज्जित हो, ऐसे भारी हिंसात्मक कार्यके लिए मेरा हाथी आपको नहीं मिल सकेगा।' - उस समयमें बड़े अंग्रेज अधिकारीका अपमान अर्थात् सर्वनाशको निमंत्रण। इस घटनाके बाद कुछ महीनों तक उस कलेक्टरने अनेक प्रकारकी धमकियों द्वारा लालाजीको भय दिखाया। अन्तमें जब जाना कि लालाजी अपने निश्चयसे डिगनेवाले नहीं हैं तब कलेक्टर स्वयं ही लालाजीके पास गये और कहा : 'कहिए सेठजी, मेरी माँगके सम्बन्धमें क्या विचार किया ? मेरी माँग नहीं स्वीकारेंगे तो उसका क्या परिणाम होगा इसका आपको पता है ?' लालाजीने कहा : 'साहब, जो मैं दोषी ठहरूँ तो आप मुझे जेलमें डलवायेंगे, कदाचित् यह सब धन-सम्पत्ति जप्त करवायेंगे अथवा अधिकसे अधिक फाँसीकी सजा दिलवायेंगे, बस इतना ही न? पर मेरा अहिंसाधर्म तो बच जायेगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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