Book Title: Charitrya Suvas
Author(s): Babulal Siddhsen Jain
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 95
________________ ५२ चारित्र्य-सुवास महामंत्रीतक पहुँचा दो। साथी-सेवक वह संदेश लेकर महामंत्रीके पास गया। उसमें लिखा था : 'आनेवाले व्यक्तिको सौ सिपाहियोंका सरदार बना देना।' कुछ दिनों बाद राजाको जब इस बातका पता चला तो उन्हें भी लगा कि जिसे दिया उसे नहीं मिला और जिसके भाग्यमें था उसे ही मिला। पुण्यके उदयको कौन बदल सकता है ! ७२ महाराजाकी उदारता - भावनगरमें इस समय जो तख्नेश्वरका मन्दिर है, इस मन्दिरका निर्माण करानेवाले भावनगरके राजा तख्तसिंहके जीवनकी यह घटना है। वे परोपकार, न्याय, दान, दया और प्रजावात्सल्य आदि गुणोंसे अपने राज्यकी प्रजामें ही नहीं परन्तु समस्त पश्चिम भारतमें एक महान लोकप्रिय राजाके रूपमें प्रसिद्ध थे। दशहरेके दिन भावनगरमें "शमीपूजनके लिए राज्यकी ओरसे एक बड़ी सवारी निकलती थी, जिसमें बेन्डबाजे, घुड़सवार, बग्घियाँ, अंगरक्षक, हाथी और हजारों लोग जुड़ते। एक बार ऐसी ही सवारी नगरसे निकलकर भील वाड़े - बहेलिया-बाड़ेके रास्तेसे ग्राम-बाहरके मन्दिरकी ओर जा रही थी। भील-बाड़ेके पास एक कैथका वृक्ष था। किसी छोटे बालकने कैथ गिरानेके हेतुसे वृक्षपर पत्थर फेंका, परन्तु वह * शमी नामक एक वृक्षकी पूजा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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