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चारित्र्य सुवास
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'लीजिए नवाब साहब, यह आपका सिंह अब अहिंसक हो गया है ।"
नवाबने परीक्षा करनेके लिए उसे मांसका आहार दिया, परन्तु सिंहने मुँह फेर लिया ।
अच्छी शिक्षा और अभ्याससे यदि हिंसक पशु भी उत्तम संस्कार प्राप्त कर सकता है तो मनुष्य कितनी ऊँची पदवी पा सकता है यह हम इस वास्तविकतापरसे समझ सकते हैं !
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वचनका पालन
बादशाह अकबरके समयका यह सत्य वृत्तान्त है। महाराणा प्रतापने मातृभूमि चित्तौड़की स्वन्त्रताके लिए राजमहल छोड़कर अरावलीके पर्वतमें वास किया था। उनके अधिकांश सैनिक खप चुके थे, थोड़े जो बाकी थे उनमें एक था सरदार रघुपतिसिंह ।
एक दिन उसे समाचार मिले कि उसका एकमात्र पुत्र बहुत ही बीमार है। महाराणाकी अनुमति लेकर वह अपने पुत्रसे मिलने निकल पड़ा । जहाँ चित्तौड़की सीमापर आया वहाँ बादशाहके पहरेदारने रोककर उसका नाम पूछा, उसने अपना नाम बताया। पहरेदार तो अत्यन्त प्रसन्न हुआ कि अच्छा है घर बैठे ही शिकार हाथमें आ गया। उसे कैद करके वह बादशाहके पास ले जानेको तैयार हुआ तब रघुपतिसिंहने कहा, 'भाई, मेरा पुत्र बहुत बीमार है, मुझे उससे मिलना है और दवाका प्रबन्ध करना है । मैं चौबीस
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