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उत्तम मातृभक्ति
विविध क्षेत्रोंमें अनेक उच्च कोटिके महापुरुषोंको जन्म देनेका महाभाग्य बंगालको प्राप्त हुआ है, उसी बंगाल प्रान्तकी यह बात है ।
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कलकत्ताके हाईकोर्टमें एक न्यायाधीश थे । प्रामाणिकता, महान तर्कशक्ति और तीव्र बुद्धिधारी होनेसे उनके मित्र उन्हें विलायत जानेकी वारंवार प्रेरणा करते। उनकी स्वयं भी जानेकी इच्छा थी, परन्तु माताने परदेश जानेकी बात स्वीकार नहीं की इसलिए उन्होंने अपना विचार बन्द रखा।
इन दिनों भारतके गवर्नर जनरल लॉर्ड कर्जन थे। किसी कारणसे वे कलकत्ता आये। हाईकोर्टके न्यायाधीश होनेसे दोनोंको मिलनेका प्रसंग आया। परस्परकी बातचीतमें लॉर्ड कर्जनने भी उन्हें विलायत जानेकी प्रेरणा की, तब न्यायाधीशने कहा, 'मेरी माताकी इच्छा नहीं है इसलिए मैं नही जाता ।' लॉर्ड कर्जनने कठोरतापूर्वक कहा, 'जाओ अपनी मातासे कहना कि भारतके गवर्नर जनरलने तुम्हें विलायत जानेकी आज्ञा दी है ।'
तुरन्त ही न्यायाधीश महोदयने उत्तर दिया, 'साहव, इस दुनियामें मेरे लिए सबसे पहली और सवसे महत्त्वपूर्ण आज्ञा मेरी माताकी है। गवर्नर जनरल या इससे भी ऊँची पदवीके अधिकारीकी आज्ञा मेरे निजी जीवनमें मेरी माताकी आज्ञासे नीची है।'
न्यायाधीशका, मातृभक्ति-दर्शक ऐसा उत्तर सुनकर गवर्नर
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