Book Title: Charitrya Suvas Author(s): Babulal Siddhsen Jain Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra KobaPage 74
________________ चारित्र्य-सुवास द्वारा खींची गयी रेखाकी तुलनामें अब बादशाहकी रेखा छोटी लगती थी। इस बातको जीवनमें लागू करें तो अपना जीवन उदात्त बन जाय। किसी भी व्यक्ति या संस्थाको नीचे गिरानेके लिए उसकी मर्यादा अथवा भूलें ढूँढनेकी आवश्यकता नहीं है, परन्तु स्वयंको और संस्थाओंको अच्छे कामोंसे या गुणोंसे आगे बढ़ानेका प्रयल करना चाहिए। व्यापारीकी प्रामाणिकता - गुजरातकी उत्तरदिशामें कच्छके प्रदेशमें मांडवी नामका बंदरगाह है। थोड़े दशक पूर्व उस बंदरगाहसे बड़े प्रमाणमें देश-विदेशके साथ व्यापार होता था और अनेक देशोंके जहाज यहाँ आकर खाली होते थे। इस गाँवमें एक विश्वासपात्र व्यापारी रहता था। प्रामाणिकता ही उसके जीवनका मुद्रालेख था। इसीकारण, सारे प्रान्तमें उसकी साख थी। ___ एक बार जामनगरसे रेशमी कपड़ेकी गाँठे आईं, परन्तु किसी कारणवश उनकी रसीदें सेठजीके पास नहीं पहुँची कि जिससे माल छुड़ा सकें। ग्राहकोंके दबावमें सेठने मुनीमजीको बंदरगाहपर भेजा और माल छुड़ा लानेको कहा। सेठजीकी साखसे कस्टम अधिकारीने चुंगी लेकर माल छुड़वाकर मुनीमजीको सौंप दिया। ग्राहकोंको माल पहुँचाकर सेठजीने रसीद देखी तो चुंगीकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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