Book Title: Charitrya Suvas Author(s): Babulal Siddhsen Jain Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra KobaPage 87
________________ ७४ . चारित्र्य-सुवास लानेको कहा। एक प्रतिभाशाली विद्यार्थीको गणितके सभी प्रश्नोंका हल मिल गया परन्तु एक प्रश्न कठिन था जिसका हल नहीं मिला। उसे हल करनेके लिए उसने अपने मित्रकी सहायता ली और गणितका प्रश्न हल कर लिया। दूसरे दिन अध्यापकने गृहकार्यका निरीक्षण किया तो केवल इस एक विद्यार्थीके ही गणितके सभी हल सही निकले। अध्यापकने उसे खूब शावाशी दी और पुरस्कार देने लगे। विद्यार्थी प्रसन्न होकर पुरस्कार लेनेके बदले नीचा मुँह करके रोने लगा। अध्यापकने पूछा, 'क्यों भाई ! तू रोता क्यों है ? । विद्यार्थीने कहा, 'साहब, आप मुझे गणितके सभी हल सही कर लानेके लिए पुरस्कार देते हैं परन्तु मैं इस योग्य नहीं हूँ, क्योंकि गणितका एक हल मैंने अपने मित्रकी सहायतासे किया है।' ___ यह सुनकर अध्यापक और अन्य विद्यार्थी विस्मयसहित आनन्दित हुए। अध्यापकने उस विद्यार्थीसे कहा कि ऐसी सरलता और सत्यप्रियताके लिए मैं तुझे पुरस्कार तो देता ही हूँ, साथ ही आशीर्वाद भी देता हूँ कि जीवनमें तू ऐसी सत्यनिष्ठा रखेगा तो सचमुच तुझे सर्वत्र सफलता मिलेगी। यह विद्यार्थी दूसरा कोई नहीं परन्तु श्री गोपालकृष्ण गोखले थे। शील, सदाचार और सौजन्यकी मूर्ति-समान इस महापुरुषने 'भारत सेवक समाज की स्थापना की और जनताको म्वार्थ लोकसेवाका आदर्श दिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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