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चारित्र्य-सुवास सामनेसे आनेवाले उस मज़दूरको देखा ही न हो। मज़दूरके सिरपर बड़ा गट्ठर था जिस कारण उसे खूब सँभलकर चलना पड़ता था।
पीछेसे नेपोलियनने यह देखा तो तुरन्त उसने शीघ्रतासे उस वाईका हाथ खींचकर उसे मार्गके एक ओर कर दी
और कहा, 'देखो, इस आदमीके सिरपर इतना सारा बोझ है। अपना कर्तव्य है कि उसे मार्ग देनेके लिए एक ओर खिसक जाना चाहिए, जिससे कि उसे कष्ट न हो और आकस्मिक घटनासे बचा जा सके।'
___ 'बोझ'को सम्मान देनेसे श्रमका आदर होता है और श्रमका सम्मान करनेसे मानवमात्रका सम्मान होता है। इस बातका ध्यान, केवल श्रीमंताईमें पले हुए अभिमानी जीवोंको कहाँसे आ सकता है ?
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हम अच्छे बनें
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बादशाह अकबर दरबार लगाकर बैठे थे। उन्होंने भींत पर एक रेखा खींची और सभासदोंसे कहा कि इस रेखाको काटे बिना छोटी कर दो। सब विचारमें पड़ गये कि ऐसा कैसे हो सकता है ?
चटपट उत्तर देने में निपुण बीरबलकी ओर सबकी दृष्टि गयी। बीरबल भीतके पास आये और बादशाहने खींची हुई रेखाके पासमें दूसरी उससे बड़ी एक रेखा खींच दी । सभासदोंको और बादशाहको उनका उत्तर मिल गया। बीरबल
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