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चारित्र्य-सुवास रकम बहुत कम लगी। सेठजीने मुनीमको बुलाकर पूछा तो मुनीमजीने कहा कि रेशमी कपड़ेपर चारगुनी चुंगी होनेसे मैंने, जहाजमें सूती कपड़ा आया है ऐसा कस्टम अधिकारीको बताया था जिससे अपनी चुंगी बच जाय ।
सेठजी झटपट रसीद लेकर कस्टम-विभागमें गये और कस्टम-अधिकारीसे क्षमा माँगी एवं चुंगीकी चारगुनी रकम भर दी। घर आकर मुनीमजीसे कहा कि ऐसा अप्रामाणिक कार्य भविष्यमें कभी भी करेंगे तो मुझे अपनी पीढ़ीमेंसे तुरन्त कार्यमुक्त करना पड़ेगा।
सेठजीकी प्रामाणिकता देखकर मुनीमजी एकदम स्तव्य रह गये। उधर कस्टम-अधिकारी भी मनमें उन्हें धन्यवाद देते रहे। *
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शूरवीरताका सन्मान
वर्तमान मैसूर और आंध्रप्रदेशकी सीमापर बेल्लारी नामका नगर है।
लगभग ई. सन् १६६५में जब छत्रपति शिवाजी अपने राज्यका विस्तार कर रहे थे तब उन्होंने बेल्लारीके राज्यपर चढ़ाई कर दी। उस समय बेल्लारीमें कोई राजा नहीं था, परन्तु राज्यकी व्यवस्था मलबाई देसाई नामक एक शूरवीर विधवाबाई करती थीं। प्रबल मराठा सैन्यके सामने बेल्लारीका
छोटा सैन्य कितनी टक्कर झेल सकता ? फिर भी युद्ध तो हुआ ही और अन्तमें मलवाईको बंदी बनाकर शिवाजी महाराजके सामने उपस्थित किया गया।
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