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चारित्र्य सुवास
जिस दिशामें वह भिखारी गया था उस दिशाकी ओर वे खूब - वेगसे दौड़े। सबको ऐसा लगा कि कोई भिखारी उनकी दुकानमेंसे माल चुराकर भागा है उसे पकड़नेके लिए वे दौड़ रहे हैं।
आखिर उन्होंने उस भिखारीको ढूँढ निकाला। दौड़नेसे वे बिलकुल पसीनेमें तर हो गये और हाँप चढ़ गयी । उन्होंने भिखारीसे क्षमा माँगते हुए कहा, 'मुझे क्षमा करना भाई, मैं ग्राहकके साथ माथापच्चीमें पड़ा हुआ था इसलिए तुम्हारी ओर ध्यान नहीं दे सका।' उस समय उनकी जेबमें जितने पैसे थे वे सब, और अपना कोट उस भिखारीको दे दिये । 'प्रभु तुम्हारा सर्व प्रकारसे कल्याण करें' ऐसा आशीर्वाद दरिद्रनारायणने दिया ।
सन्त फ्रांसिस अपना कर्तव्य निभाकर दुकान पर वापस लौटे तब उन्हें किसी बड़े ग्राहकको निबटानेकी अपेक्षा विशेष आनन्द था ।
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'पुत्रके लक्षण पालनेमें'
'अरे नामु ! तेरी धोतीपर यह खूनका धब्बा कैसे
लगा ?"
'माँ, यह तो मैंने कुहाड़ीसे अपने पैरकी चमड़ी छोली थी, इसलिए खून निकला था और उसका धब्बा धोती पर लग गया ।"
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