Book Title: Charitrya Suvas
Author(s): Babulal Siddhsen Jain
Publisher: Shrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba

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Page 63
________________ ५० चारित्र्य-सुवास प्रति बहुमान, ऊँच-नीचकी मान्यताका अभाव आदि सिद्धान्तोंका दक्षिण भारतमें प्रचार करके उन्होंने देशकी बड़ी सेवा की। ४२ क्षमाका प्रभाव महाराष्ट्रमें, गोदावरी नदीके किनारे पैठण नामका एक प्रसिद्ध तीर्थ है, वहाँ एकनाथजी नामक एक बड़े महात्मा निवास करते थे। उस नगरमें, नदीपर नहाने जानेके मार्गपर एक धर्मशाला थी, उसमें एक हरामी और आवारा पठान रहता था। आते-जाते यात्रियोंको परेशान करनेमें ही वह अपना बड़प्पन समझता था। महात्मा एकनाथजीको परेशान करनेका उसने निश्चय किया और एक दिन नदीमें स्नान करके वापस आ रहे महात्मा पर उसने कुल्ला कर दिया। महात्मा वापस नदीमें जाकर फिरसे स्नान कर आये, तो फिरसे उसने कुल्ला किया। इसप्रकार बहुत बार होता रहा परन्तु एकनाथजीने न तो गुस्सा किया और न कोई प्रतिकार किया। अन्तमें वह पठान पिघल गया और महात्माके पैरों पड़कर कहने लगा, 'महाराज ! आप ही खुदाके सच्चे वंदे हैं, मुझे माफ़ कर दीजिए।' एकनाथजीने कहा, "भाई इसमें माफ करने जैसा कुछ नहीं है। तेरे कारण आज मुझे गोदावरीमें अनेक बार स्नान करनेका लाभ मिला।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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