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लिख चुके है. इसलिये मासवृद्धि होनेसे १२० दिनकी जगह १५० दिनभी चौमासेमें होते है, उसमें किसी प्रकारका दोष नहीं बतलाया. मगर पर्युषणातो वर्षास्तु दिन प्रतिबद्ध होनेसे ५० दिने अ. वश्य करना कहाहै, उसपर १ दिनभी बढ जावे तो दोष कहा है. और दूसरे भाद्रपदमें पर्युषणा करें तो, ८० दिन होनेसे शास्त्रविरुद्ध होता है, इसलिये दूसरे आषाढंमें चौमासी पर्वकी तरह. पर्युषणापर्व ८० दिन होनेसे दूसरे भाद्रपदमें नहीं हो सकता. किंतु सर्व शास्त्रों की आशा मुजब ५० दिने प्रथम भाद्रपदमें करना युक्तियुक्त न्याय. संपन्न है. इसको तो पाठक गण स्वयं विचार सकते हैं.
१३-जिसको मानना उसीकोही उत्थापना ।
हमेशां भाद्रपदमें पर्युषणा ठहराने के लिये निशीथचूर्णिके पाठको आगे करते हैं, मगर चूर्णिमेतो ५० दिने या ४९ दिने पर्युषणा करना लिखा है, परंतु ऊपरांत करना नहीं लिखा और अधिक महीनेके ३० दिनोंकोभी गिनतीमें लिये हैं। जिसपरभी दो भाद्रपद होवे तब ५० दिने प्रथम भाद्रपदमें पर्युषणा करना छोडकर, ८० दिने दूसरे भाद्रपदमें करते हैं। उसीसे जिस चूर्णिका पाठ मान्य करते हैं उसी चूर्णिका पाठ (दूसरे भाद्रपदमें ८० दिने पर्युषणा करनेसे) उत्थापन करते हैं । इसको विशेष तत्त्वज्ञ जन स्वयंविचार सकते हैं .
१४ - वितंडा वाद ।। ८० दिने पर्युषणा करना शास्त्रविरुद्ध ठहराते हो मगर दो आषाढ होवे तब प्रथम आषाढमें चौमासी करो तो तुमारेभी ८० दिने पर्युषणा होवेगें तब कैसे करोगे? समाधान भो-देवानुप्रिय ! पर्युषणाके ५० दिनोंकी गिनती ग्रीष्मऋतुकी समाप्ति होनेपर वर्षाऋतुकी शुरूआतसे गिनी जाती है. और प्रथम आषाढ ग्रीष्मरुतुमें होनेसे उसमे चौमासी नहीं हो सकता और ग्रीष्मरुतुकी समाप्ति हुए बिना व वर्षारुतुकी शुरूआत हुए बिना प्रथम आषाढ़से पर्युषणासंबंधी दिनोंकी गिनती नहीं हो सकती इसलिये प्रथम आ. षाढमें चौमासी करने का व उससे पर्युषणाके दिन गिननेका कहना अज्ञानताका कारण है,क्योंकि वर्षारुतुकी आदिमें दूसरे आषाके अंतमें चौमासी होनेसे पर्युषणाके दिन गिननेका निशीथचूर्णि
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