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ना होवे तब १३ महीनौका वर्ष कहा जाता है, इसीतरह यद्यपि चौमासा शब्द व्यवहारसे ४ महीनोंका कहा जाता है, मगर अधिक महीना होनें से १३ महीनों के वर्षकी तरह चौमासाभी पांच महीनें - का होता है. इसलिये अधिक महीना न होवे तब तो ४ महीनोंके ८ पक्ष, १२० दिनोंका चौमासी, मगर अधिक महीना होवे तब पांच महीनोंके दश (१०) पक्ष, १५० दिनांका चौमासी प्रतिक्रमणादि होते हैं । यहबात प्रत्यक्ष प्रमाणसे व लौकिक टिप्पण के प्रमाणसे जग जाहिर है और आगमपंचांगी सिद्धांत प्रमाणसेतो अनादि सिद्ध है. इसलिये इसको कोईभी निषेध नहीं कर सकता. इसका विशेष विचार तत्वज्ञ पाठक गण स्वयं कर सकते हैं ।
११ - एक कुतर्क ॥
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कितनेक कहते हैं, कि- 'चौमासी आषाढमें करना कहा है, इस लिये प्रथम आषाढमें करोगे तो दूसरा छूट जावेगा और दूसरे में करोगे तो, प्रथम छूट जायेगा. या दोनोंमें करेंगे तो पुनरुक्ति दोष आवेगा ' ऐसी २ कुतर्क करते हैं सोभी सर्वथा शास्त्र विरुद्ध है । क्योंकि प्रथम आषाढमे ग्रीष्मऋतु वगैरह उपर मुजब कारण होनेसे चौमासी नहीं हो सकता, इसलिये 'प्रथममें करेंगे तो दूसरा छुट जावेगा' ऐसा कहना व्यर्थही है । और दो आषाढ होने से दोनोंकी गिनती पूर्वक ५ महीने दूसरे आषाढमें चौमासी करते हैं, इसलिये 'दूसरेमें करोगें तो प्रथम छूट जावेगा ' ऐसा कहनाभी व्यर्थ है । और दोनों आषाढमें दो वार चौमासी नहीं किंतु ग्रीष्मऋतुकी समाप्ति वगैरह उपर मुजब कारणोंसे दूसरे में एकही वार चौमाली करते हैं इसलिये ' दोनोमें करोंगे तो पुनरुक्ति दोष आवेगा ' ऐसा कहनाभी व्यर्थ ही है । और चौमासी प्रतिक्रमण तो ४ महीने या मासवृद्धि होवे तब पांच महीने सब गच्छवाले एकबार प्रत्यक्षपने करते
इसलिये चौमासी ४ महीनें होवे मगर पांच महीने नहीं होवे, ऐसा प्रत्यक्ष असत्य भाषण करना योग्य नहीं है. इसकोभी पाठकगण स्वयं विचार लेंगे ।
१२- दूसरे आषाढमें चौमासपिर्वकी तरह पर्युषणाभी दूसरे भाद्रपदमें हो सके या नहीं ?
आषाढ- कार्तिकादि चौमासा ४-४ महीनोंसे होता है, मगर अधिक महीना होनेसे पांच महीनों का भी होता है, यह बात उपर
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