Book Title: Bhadrabahu Samhita
Author(s): Bhadrabahuswami, A S Gopani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ बाबू श्री बहादुर सिंहजी - स्मरणाञ्जलि आ ई फ तेमणे मध्यप्रांतोमां आवेला कोरीया स्टेटमां कोलसानी खाणोना उद्योगनो पायो नांख्यो अने बीजी तरफ दक्षिणना शकति अने अकलतरानां राज्योमां आवेली चूनाना पत्थरोनी खाणोना, तेम ज बेळगाम, सावंतवाडी, इचलकरंजी जेवा स्थानोमां आवेली 'बोकसाइट' नी खाणोना विकासनी शोध करवा पाछळ पोतानुं लक्ष्य परोव्युं. कोलसाना उद्योग अर्थे तेमणे 'मेसर्स डालचंद बहादुरसिंह' ए नामथी नवी पेढीनी स्थापना करी जे आजे हिंदुस्थानमां एक अग्रगण्य पेढी गणाय छे. ए उपरांत तेणे बंगालना चोवीस परगणा, रंगपुर, पूर्णीया अने मालदहा विगेरे जिल्लाओमां, म्होटी जमीनदारी पण खरीद करी अने ए रीते बंगालना नामांकित जमीनदारोमां पण तेमणे पोतानुं खास स्थान प्राप्त कर्यु. बाबू डालचंदजीनी आवी सुप्रतिष्ठा केवळ व्यापारिक क्षेत्रमां ज मर्यादित होती. तेओ पोतानी उदारता अने धार्मिकता माटे पण एटला ज सुप्रसिद्ध हता - तेमनी परोपकारवृत्ति पण तेटली ज प्रशंसनीय हती. परंतु, परोपकारसुलभ प्रसिद्धिथी तेओ प्रायः दूर रहेता हता. घणा भागे तेओ गुप्तरीते ज अर्थिजनोने पोतानी उदारतानो लाभ आपता. तेमणे पोताना जीवनमां लाखोनुं दान कयुं हशे पण तेनी प्रसिद्धि के नोंध तेमणे भाग्ये ज करवा इच्छी हशे तेमना सुपुत्र बाबू श्री बहादुर सिंहजीए प्रसंगोपात्त चर्चा करतां जणाव्युं हतुं, के तेओ जे कांई दान आदि करता, तेनी खबर तेमने पोताने ( पुत्रने) पण भाग्ये ज थती. आधी तेमनां जाहेर दानो अंगेनी मात्र नीचेना २-४ प्रसंगोनी ज माहिती मळी शकी हती. सन १९२६ मां 'चित्तरंजन' सेवा सदन माटे कलकत्तामां फालो करवामां आव्यो त्यारे एक वार खुद महात्माजी तेमना मकाने गया हता अने ते वखते तेमणे वगर माग्ये ज महात्माजीने ए कार्य माटे १०००० रूपिया आप्या हता. १९१७ मां कलकत्तामा 'गवर्मेंट हाउस'ना मेदानमां, लॉर्ड कार्माइकलना आश्रय नीचे रेडक्रॉस माटे एक मेळावडो थयो हतो तेमां तेमणे २१००० रूपिया आया हता. तेम ज प्रथम महायुद्ध वखते तेमणे ३,००,००० रूपियाना 'वॉर बॉण्डस्' खरीद करीने ए प्रसंगे सरकारने फाळामां मदद करी हती. पोतानी छेत्री अवस्थामां तेमणे पोताना निकट कुटुंबीजनो - के जेमनी आर्थिक स्थिति बहु ज साधारण प्रकारनी हती तेमने - रूपिया १२ लाख व्हेंची आपवानी व्यवस्था करी हती जेनो अमल तेमना सुपुत्र बाबु बहादुर सिंहजीये कर्यो हतो. बाबू डालचंदजीनुं गार्हस्थ्य जीवन बहु ज आदर्शरूप हतुं. तेमना धर्मपत्नी श्रीमती मन्नुकुमारी एक आदर्श अने धर्मपरायण पत्नी हता. पति-पत्नी बने सदाचार, सुविचार अने सुसंस्कारनी मूर्ति जेवा हतां डालचंदजीनुं जीवन बहु ज सार्दु अने साधुत्व भरेलुं हतुं व्यवहार अने व्यापार बनेमां तेओ अत्यंत प्रामाणिक अने नीतिपूर्वक वर्तनारा हता. स्वभावे तेओ खूब ज शान्त अने निरभिमानी हता. ज्ञानमार्ग उपर तेमनी ऊंडी श्रद्धा हती. तत्त्वज्ञानविषयक पुस्तकोनुं वाचन अने श्रवण तेमने अत्यंत प्रिय हतुं. क्रिन नगर कॉलेजना एक अध्यात्मलक्षी बंगाली प्रोफेसर नामे बाबू ब्रजलाल अधिकारी- जेओ योगविषयक प्रक्रियाना अच्छा अभ्यासी अने तत्वचिंतक हता - तेमना सहवासथी बाबू डालचंदजीने पण योगनी प्रक्रिया तरफ खूब रुचि थई गई हती अने तेथी तेमणे तेमनी पासेथी ए विषयनी केटलीक खास प्रक्रियाओनो ऊंडो अभ्यास पण कर्यो हतो. शारीरिक स्वास्थ्य अने मानसिक पावित्र्यनो जेनाथी विकास थाय एवी, केटलीक व्यावहारिक जीवनने अत्यंत उपयोगी, यौगिक प्रक्रियाओनो तेमणे पोताना पत्नी तेम ज पुत्र, पुत्री आदिने पण अभ्यास करवानी प्रेरणा करी हती. जैन धर्मना विशुद्ध तत्त्वोना प्रचार अने सर्वोपयोगी जैन साहित्यना प्रसार माटे पण तेमने खास रुचि रहेती हती अने पंडितप्रवर श्री सुखलालजीना परिचयमां आव्या पछी, ए कार्यं माटे कांईक विशेष सक्रिय प्रयत्न करवानी तेमनी सारी उत्कंठा जागी हती. कलकत्तामा २-४ लाखना खर्चे आ कार्य करनारुं कोई साहित्यिक के शैक्षणिक केन्द्र स्थापित करवानी योजना ओ विचारी रह्या हता, ए दरम्यान सन् १९२७ (वि. सं. १९८४) मां कलकत्तामां तेमनो स्वर्गवास थयो. * बाबू डालचंदजी सिंघी, पोताना समयना बंगालनिवासी जैन समाजमां एक अत्यंत प्रतिष्ठित व्यापारी, दीर्घदर्शी उद्योगपति, म्होटा जमीनदार, उदारचित्त सद्गृहस्थ अने साधुचरित सत्पुरुष हता. तेओ पोतानी ए सर्व संपत्ति अने गुणवत्तानो समग्र वारसो पोताना एक मात्र पुत्र बाबू बहादुर सिंहजीने सोंपता गया, जेमणे पोताना ए पुण्यश्लोक पितानी स्थूल संपत्ति अने सूक्ष्म सत्कीर्ति - बनेने घणी सुंदर रीते वधारीने पिता करतांय सवाई श्रेष्ठता मेळववानी विशिष्ट प्रतिष्ठा प्राप्त करी. बाबू श्री बहादुर सिंहजीमां पोताना पितानी व्यापारिक कुशळता, व्यावहारिक निपुणता अने सांस्कारिक सन्निष्ठा तो संपूर्ण अंशे वारसागतरूपे उतरेली हती ज, परंतु से उपरांत तेमनामा बौद्धिक विशदता, कलात्मक रसिकता अने विविध विषयग्राहिणी प्राञ्जल प्रतिभानो पण उच्च प्रकारनो सन्निवेश थयो हतो अने तेथी तेओ एक असाधारण व्यक्तित्व धरावनार महानुभावोनी पंक्तिमां स्थान प्राप्त करवानी योग्यता मेळवी शक्या हता. ओ पोताना पिताना एकमात्र पुत्र होवाथी तेमने पिताना विशळ कारभारमां नानपणथी ज लक्ष्य आपवानी फरज पढी ती अने तेथी तेओ हाईस्कूलनो अभ्यास पूरो करवा सिवाय कॉलेजनो विशेष अभ्यास करवामो अवसर मेळवी शक्या न हृतां छतां तेमनी ज्ञानरुचि बहु ज तीव्र होवाथी, तेमणे पोतानी मेळे ज, विविध प्रकारना साहित्यना वांचननो अभ्यास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 150