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श्री घट प्रकार पूजा ॥ १२ ॥
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जहां रानी कमलप्रभा पुत्र सहित सोती थी, जाकर उसके गोद से कु घर को लेलिया । उस समय रानी अत्यन्त विलाप करने लगी, हाय ! हाय ! दस दिन के जन्मे हुए मेरे पुत्रको कौन दुष्ट लिये जाते हैं ?
वे राजा के चाकर उस बालक को ले उजाड़वन में छोड़ कर पीछे राजा के पास आकर बोले, हे महाराज ! जहां कोई जीव जन्तु नहीं है, ऐसे भयङ्कर वन में छोड़ आये हैं। ऐसे वचन सुन राजा भी अश्रुपात करने लगा, बहुत दुखी होकर पछताने लगा, क्षणमात्र भी मोह से विलाप करता रुकता नहीं था । कुँवर को जलांजलि दी पहले क्रोध आया था पर अब मोह शव अपने अंग से पैदा हुए पुत्रपर स्नेह दर्शाने लगा। उधर वह कमलप्रभा रानी भी अपने पुत्र के विरह से भांति २ के शब्दों से रोने लगी और उसका हृदय बहुत दुःखोंसे भर गया है । करुणा के शब्द सुन कर नगर के लोग इकट्ठ े हुए और उन्होंने ने भी कुमार के विरह से दुःख धारण किया।
इधर यह बालक अटवी में अकेला पड़ा था, वहां एक भारुण्ड नाम पक्षी आया और बालक को चोंच से उठा कर आकाश में उड़ गया ।
पृथ्वी पर से किसी दूसरे भाकड पक्षी ने उसको देखा और उड़कर बालक के मांस के लोभ से उसके साथ लड़ाई करने लगा। आपस में युद्ध होने लगा, इतने में चोंच से छूट कर वह बालक नीचे कुत्रा में गिर पड़ा। उसी
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