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الحلال
عليه العلم
उसी नगर में रत्नरथ नामक राजा राज्य करता था। उसकी रानी कनकावली थी, उसके भानुमती नामकी कन्या बहुत से पुत्रों पर हुई अतः राजा को अत्यन्त वल्लभ थी। एक दिन रात्रि के समय सोती हुई उस ।
को भयंकर विषले काले सांप ने पर में (डसा) काटा। जिस से राजकुल में बड़ा भारी कोलाहल मचा । "दौड़ो में दौड़ो" काले साप ने राजकुमारी को काटा ! बचाओ!! ऐसा शब्द सब राजभवन में फैल गया। राजा भी सुन । कर वहां अया और पुत्री के स्नेह से विलाप करने लगा, नेत्रों के जल से कपोलों को धोने लगा । राजपरिवार और परिजन सब दुःखित हुए बैठे हैं।
जब राजाने कुवरी का शरीर निश्चेष्ट और अचेतन देखा तो स्वयं मूर्थित होकर पृथ्वीपर गिर पड़ा। । अग्नि से जले हुए अंग पर खार के समान यह दूसरा राजा का दुःख जानकर सब लोक अन्तःपुर और सब पाँ
रिवार सहित उच्च स्वर से रोने लगे। कई वृद्धपुरुष जल को चू'दों से राजाके शरीर को छांटने और बावन चन्दन शरीर में लेप करने लगे। पंखा हिलाने से राजा को कुछ चैतन्यता प्राप्त हुई। तब राजा ने कई विषवैद्य, मन्त्र
वादी, गारुड़ी आदिकों को बुलाया। उन्हों ने भी बहुत उपचार अपनी २ बुद्धि के अनुसार किये परन्तु चेष्टा रहित । 0 होने से कुछ भी गुण न हुआ । राजा उसको निश्चेष्ट जान कर स्मशान भूमि में ले आया। चन्दन काष्ट मे चिता D बनाई गई-पास में ज्वलत् अग्नि स्थापन को गई, इस अवसर में जो कुछ हुआ वह चित्त लगा कर सुनो।
لكل
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