________________ Shin Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shil kailassaganser Cyanmandir इस प्रकार हे भव्य लोगो! तुम भी अष्ट प्रकार की पूजा का महात्म सुन कर श्री वीतराग की विविध श्री अD प्रकार पूजा में श्रादर करो, जिससे विघ्न रहित रमणीय सुख प्रप्त करोगे और अन्त में शाश्वत सुख प्राप्त होगा। // 65 || इस प्रकार केवली विजयचन्द्र जी ने अपने पुत्र हरचन्द्र को आठ प्रकार की पूजा का महात्म कहा। इति श्री जिनेन्द्र पूजाष्टके जल कुम्भ पूजाघम विग्ये विप्र पुत्री सोमश्री कथानकं अष्टमं समाप्तम् पूजा रामार नव चन्द्रब्दे (163) मासि पौधे सिते दले। दशम्या बुध वारेऽभूत् पूनाटक समाप्तिका // 1 // ककन // 65 // For Private And Personal Use Only