Book Title: Ashtaprakari Pooja Kathanak
Author(s): Vijaychandra Kevali
Publisher: Gajendrasinh Raghuvanshi

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Page 47
________________ Shn Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री अष्ट प्रकार पूजा ॥ १७ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असली बात तो मैं नहीं जानता, मैंने तो कृपादिक से पान्थ द्वारा पाया है। यह बात सुनकर राजा वजाहतवत भूमि पर मूर्छित हो गिर गया। मन्त्री ने शीतलोपचार कर चेतना प्राप्त कराई। राजाने कहा, जिसका कुल, माता, पिता, न जाना जाय, उसको अपनी लड़की किस प्रकार दी जाय ? और यदि आदर के साथ यह कन्या इसको नहीं दूंगा तो मेरा वचन असत्य हो जायगा। इस प्रकार चिन्ताग्रस्त मन से व्याकुल हो रहा है। इसी अवसर में वह यक्ष प्रत्यक्ष आकर राजा के पास कहता है- हे महाराज ! यह कुमार पोतनपुर नगर के स्वामी बजूसिंह राजा का पुत्र है। कमला रानी के गर्भ से उत्पन्न हुआ है। राजा ने दूसरे पुत्र पर राग रखकर इसे द्वेषवश यन में छुड़वा दिया। वहां से भारुंड पक्षी ने पकड़ा, दूसरे पक्षी से परस्पर युद्ध करते चोंच से गिर कर कुंआ में प्रवेश किया। वहां पहिले ही पड़े हुए पान्थ ने इसे पकड़ छाती से लगाया । सार्थवाह ने दोनों को बाहर निकलवाया। पान्यने बालक सार्थवाह को दिया, यह वृत्तान्त है। ऐसा कह वह यक्ष अन्तनि हो निज स्थान गया । राजा ने यक्ष के वचन सुन कर कहा. यह मेरा भांणेज है, कमला मेरी बहिन है । मन में हर्ष धारण कर विनयंवर कुमार के साथ अपनी कन्या का विवाह कर दिया और अर्धराज्य की संपत्ति सानन्द सौंपदी । For Private And Personal Use Only T1129 11

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