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श्री भए
प्रकार पूजा 11 42 11
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पामर प्रतीत होते हो, तुम अपने मनमें ऐसा जानते होगे कि हम बहुत हैं यह अकेला हमारा क्या कर सकता है ? यदि तुम्हारे मनमें घमंड हो तो आओ, और मेरे साथ संग्राम करो। बनमें सिंह एकही होता है पर उसके सामने से हजारों सियाल मुँह छिपा कर भाग जाते हैं ।
ऐसे असंभव, और अनुचित बात सुनकर चंडसिंह राजा अत्यन्त कोपाग्नि से प्रज्वलित हुआ और कहने लगा अरे सुभटो ! इस दुष्टको पकड़ो और मारो, इसकी जीभ मूलसे उखाड़ डालो । स्वामी के वचन सुनते ही सुभटों ने ज्योंही हाली को पैरों से मारना चाहा त्योंही हाली उठकर अग्निवत् जाज्वल्यमान शरीर से हल उठाकर मारने को दौड़ा, उस अधिष्ठ । यकदेव के कारण उसके तेजको सहन नहीं करते हुए सुभट दौड़ कर अपने स्वामी की शरण गये ।
उस हालीका तेजस्वी रूप देखकर सब राजा लोग परस्पर विचार करने लगे, यह कोई देवता हाली का रूप धर कर आया है ? वीरों को कायर नहीं होना चाहिये, ऐसा साहस रखकर अपने २ सिंहासनों से उठ कर सब राजाओं ने चारों ओर से घेर लिया । तब हाली ने अपना पराक्रम दिखाया, ज्योंही इसने अपना हल चारों ओर घुमाया त्योंही सब राजा दिशाओं में इस प्रकार भागने लगे जैसे सिंह के सामने हाथियों का यूथ ( टोला ) नष्ट होजाता है ।
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