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Acharya Sh Kailassagar Gyanmandi
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था, उनके सामने इंद्र ने कहा आज कल मृत्युलोक में फज़सार कुमार बड़ा पुण्यवान है, वह जिस बात को मन श्री अष्ट
में विचार करता है वह हो तत्काल प्राप्त होजाती है। यह सुनकर कोई अहंकारी देव इंद्र के बचनों का पूजा .विश्वास नहीं कर के परीक्षा करने को देव लोक से निकल कर यहां आया और महाभयङ्कर मर्प का स्वरूप
.. । बनाकर फलसार की स्त्री शशिलेखा को डस गया। सब राजकुल व्याकुल होगया, राजा दुःखित होकर चिन्ता
करने लगा। कई गारुणी मन्त्रवादी बुलाये उन्होंने उपचार किये परन्तु शान्ति न हुई। तय गारुणियों ने कहा इस का उपचार हमसे नहीं होता, ऐसा कह कर वे सब अलग होगये । तव राजाने परिवार सहित बहुत चिंता की। जम रानी मूछित होकर चेष्टा रहित होगई। तब वही देवता वैद्यरूप धारण कर वहां पाया और कहने लगा, । "हे कुमार ! यदि कल्पवृक्ष की मंजरी देव लोक से आवे तो रानी जोबित हो सके," ऐसा कह कर वहां खड़ा रहा । राजकुमार को स्त्री का वड़ा दुःख हुआ. मन में अत्यन्त क्लेश पाया। इतने में वही दुर्गत देवता ज्ञान से राजकुमार को दुःखी जानकर वहां कल्पवृच की मंजरी हाथ में लेकर आया, उसकी सुगन्ध से रानी का विष शांति होगया । सबके मन में अत्यन्त हर्ष हुमा, सब दुख मिटगया। इतने में देवतााने कुमार को सामर्थ देखने के लिये वैद्य रूप छोड़कर हाथी का रूप धारण किया और
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V कुमार के सामने देखने लगा। कुमार ने देवता की सहायता से सिंह का रूप धारण किया और देव के सामने र
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