Book Title: Ashtaprakari Pooja Kathanak
Author(s): Vijaychandra Kevali
Publisher: Gajendrasinh Raghuvanshi

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Page 75
________________ Shn Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री० अष्ट प्रकार पूजा ॥ ३१ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतने में कुमार ने अपने हृदय का संदेह वानरी से पूछा- भद्र े ! क्या यह तुम्हारा वचन सच्चा है ? यह सुन कर वानरी बोली हे, कुमार ! यह मेरे वचन सब सत्य हैं, यदि तुम्हारे मन में सन्देह हो तो इस बन में ही एक केवल ज्ञानी साधु रहते हैं, उनको जाकर पूछ लो । वे तुम्हारे मन का संदेह मिटा देवेंगे। ऐसे वानरी के वचन सुन कर अपनी माता को साथ ले शीघ्र ही ज्ञानी मुनि के पास पहुंचा। इधर बानर वानरी का जोड़ा इनको बात जता कर अदृश्य हो गया । कुमार और माता ने ज्ञानी मुनिराज को वन्दना कर मनमें विस्मित होकर पूछा- हे स्वामिन्! भगवन् ! क्या यह बानर बानरी के कहे हुए वचन सत्य हैं ? तब मुनि ने कहा यह बात सत्य है । इसमें अंश मात्र भी झूठ नहीं है । परन्तु यह सब समाचार विशेष रीति से तो हेमपुर नगर के पास उद्यान में निश्चल ध्यान में एक साधु बैठी है, उसको केवलज्ञान उपजा है वह कहेगा । ऐसे मुनि के वचन सुनकर वन्दना कर वह विद्याधर अपनी माता को विद्याधर नगर में अपने घर ले गया । एकान्त में माता को छोड़ कर अपनी विद्याधरी माता से पूछा कि हे माता ! तुम यह बात सत्य कहो मेरी माता कौन है और पिता कौन है ? ऐसे पुत्र के वचन सुन कर विचारने लगी यह कुमार मुझे आज ऐसा पूछता है तो इसको अपने वृत्तान्त की कुछ खबर लगी मालूम होती है, ऐसे विचार कर बोली मैं तुम्हारी जननी हूँ यह तुम्हारा पिता है। For Private And Personal Use Only ॥ ३२ ॥

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