Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||२७|| (३१) ॥३०॥ ॥३१॥ ॥३३॥ (३०) महानिसी- १/६२१ (२९) घोरंघउबिहा मायाघोरुगं माण-संजुया माया लोपो य कोहोयघोरुग्गुगतां मुणे [२६॥ सुहम-बायर-घेएणं सप्पमेयं पिमं मुणी अइरा समुद्धरे खिप्पंससले नो वसे खणं खुडलगे वि अहिपोए सिद्धत्थयतुल्ले सिही संपलगे खयं नेइ नर-पुरे विशाडई ॥२८॥ (१२) एवंतणु-तनुपया पावसल्लमणुद्धियं भव-भयंतरकोडीओ बहु संतावपदं पवे ॥२९॥ भयवं सुदुद्धरे एस पावसल्ले दुहप्पए उद्धरिउ पिन याप्ती वहवेजह वुद्धरिजई (३४) गोयमा निम्मूलमुद्धरणं निययमे तस्स मासियं सुदुध्धरस्सावि सल्लस्स सव्यंगोवंग-मेदिणी सम्मइंसणं पढमं सम्मत्राणं बिइज्जयं तइयं च सम्मचारितंएगभूययमिमंतिगं ॥३२॥ (३६) खेत्तीभूते बिजे जितेजे गूढेऽइंसणं गए जे अत्यीसुंठिए केईजेत्थिमन्मंतरंगए सव्वंगोवंग-संखुत्तेजे सब्मंतर-बाहिरे सलंतीजे न सल्लंती ते निम्मूले समुद्धरे (३८) हयं नाणं कियाहीणं हया अत्राणतो किया पासंतो पंगुलो दड्ढो धाबमाणोय अंधओ संजोग-सिद्धीअ उगोयमा फलं नहु एगचक्केण रहोपयाई अंधो य पंगूय लवणे सपिच्चा ते संपउत्ता नगरं पविट्ठा ॥३६॥ (४०) नाणं पयासयं सोहओ तयो संजमोय गुत्तिकरो तिण्डं पि समाओगे गोयममोक्खो न अन्नहाउ ॥३७॥ ता नीसले पविताणं सव्यसाल-विवजिए जे धम्पसमणु चिट्ठा सब्ब-भूयऽप्पकंपिया (४२) तस्स तंसफलं होजाजम्भ-जम्मंतरेसुवि विउला संपय-रिद्धी य लपेजा सासयं सुई ॥३९॥ सल्लमुद्धरिउ-कामेणंसुपसत्ये सोहणे दिने तिहि-करण-महत्त नक्षतेजोगे लग्गे ससी-बले कायव्याऽऽयंबिल-खमणं दस दिने पंचमंगलं परिजधियव्येऽसयं सयहा तदुवरि अहमं करे अट्ठम-मत्तेण पारेत्ता काउणायंबिलं तओ चेइय-साहू य वंदित्ता करिज खंतमरिसियं |४२॥ जे केइ दुइ संलतेजस्सुवरि दुहु-चिंतियं जस्स य दुद्ध कयं जेण पडिदुर्बु वा कयं भवे ॥४३॥ ॥३४॥ ॥३५॥ C (43) ||४|| For Private And Personal Use Only


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