Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अमापणंएसा नियंतणा कहं बालेहि कलइ मोयमा जे णं केइ न इच्छेजा एवं नियंतणं अविणओवहाणेणं चेव पंचमंगलाइंसुय-नाणमहिनिणे अज्झायेइ वा अज्झावयमाणस्स या अनुण्णं या पयाइ सेणं न भवेजा पिय-धमेन हवेज्जा दढ-धम्मे न भवेशा मत्ती-जुए होलेजा सुत्तं हीलेला अत्यं हीलेजा सुत्तस्थ-उपए हीलेजा गुरुंजे णं हीलेज्जा सुत्तत्थोऽभए जावणं गुरुं सेणं आसाएजा अतीताऽनागयवमाणे तित्ययरे आसाएजा आयरिय-उवज्झाय-साहुणो जे णं आसाएजा सुय-नाणमरिहंतसिद्ध-साहू से तस्स णं सुदीहयालमनंत-संसारसागरमाहिंडेमाणस्स तासु तासु संकुड वियडासु चुलसीइ-लक्ख-परिसंखाणासु सीओ-सिणमिस्सजोणीसु तिमिसंझधमारदुग्गंधाऽ- मेज्झचिलीणखारमुत्तोज्झ-सिंभ पडहच्छवस-जलुल-पूय-दुद्दिण-चिलिचिल-रुहिर चिक्खल्ल-दुई- सण-जंबालपंक-वीभच्छघोर-गब्भवासेसु कढ कढ-कढेंत-चलचलवलस्स टल रल-टलस्स रझं- तसंपिंडिपंगमंगस्स सुइरं नियंतणाजे उण एवं विहिं फासेजा नो णं मणयं पि अइयरेडा जहुत-विहाणेणं
व पंच-मंगल-पमिइ-सुय-नाणस्स विणओवहाणं करेजा से णं गोयमा नो हीलेजा सुत्तं नोहीलेजा अत्यं नो हीलेजा सुत्तत्योपए से शं नो आसाएजा तिकाल-भावी-तिक्खरे नो आसाएजा तिलोगसिहरवासी विहूय-रय-मले सिद्धे नो आसाएजा आयरिय-उवन्झाय साहुणो सुइयर रेवभदेशा पिय-धमे दद-थम्मे पत्ती-जुत्ते एगतेणं भवेजा सुत्तत्याणुरंजियमाणस-सद्धा-संवेगमावण्णे से एसणं न लभेजा पुणो पुणो भय-चारगे गम-वासाइयं अणेगहा जंतनंति।२७।
(६०१) नयर गोयमा जे णं बाले जाव अविष्णाय-पुत्र-पावाणं विसेसे ताव णं से पंचपंगलस्स णं गोपमा एगंतेणं अओग्गे न तस्स पंचमंगल-महा-सुयक्खधं दायव्यं न तस्स पंचमंगलमहासुयखंधस्स एगमवि आलावगं दायव्यं जओ अनाइ-भवंतर-समजियाऽसुह-कम्म-रासि. दहणमिणं लमित्ता गं बाले सम्मामाराहेज्जा लहत्तं च आणेइ ता तस्स केवलं धम्म-कहाए गोयमा भत्ती समुप्पाइजइ तओ नाऊणं पिय-धम्मं दढ-यम्मं भत्ति-जुत्तं ताहे जावइयं पञ्चक्खाणं निवाहेउं समत्यो भवति तावइयं कारविजइ राइ-मोयगं च दुविह-तिविह-वउविहेण वा जहा-सत्तीए पद्मक्खाविजइ।२८॥
(१०२) ता गोयमा गं पणयालाए नमोक्कार-साहियाणं चउत्यं चउवीसाए पोरुसीहिं बारसहिं पुरिमड्डेहिं दसहिं अवड्टेहिं तिहिं निव्दीइएहिं चाहिं एगठ्ठाणगेहिं दोहि आयंबिलेहिं एगेणं सुद्धत्यायंबिलेणं अन्यावारत्ताए रोझाण- विगहा-विरहियस्स सज्झाएगग-चित्तस्स गोया एपमेवाऽऽयंबिलं मास-खवणं विसेसेजा तओ य जावइयं तवोवहाणगं वीसमंतो करेजा तावइयं अनुगणेऊणं जाहे जाणेजा जहा णं एत्तियमेत्तेणं तबोयहाणेणं पंचमंगलस्स जोगीमूओ ताहे आउत्तो पढेजा न अन्नहति।२९।
(६०३) से भयवं पभूयं कालाइक्कम एयं जइ कदाइ अवंतराले पंचत्तमुवगच्छेआ तओ नमोक्कार विरहिए कहमुत्तिमहूँ साहेजा गोयमा जंसयंचेव सुत्तोवयारनिमित्तेणं असढ-भावत्ताए जहा-सत्तीए किंचि तदमारपेक्षा तं समयमेव तमहीय-सुत्तत्योपयं दट्टव्वं जओ णं सो तं पंचनमोक्कारं सुत्तत्योपयं न अविहीए गेणे किंतु तहा गेहे जहा मवंतरेसुं पि न विपणस्स एयज्झवसायत्ताए आराहगो मदेशा॥३०॥
(or) से मयवं जेण उण अण्णेसिमहीयमाणाणं सुयायवरणक्खओयसमेणं कण्णहाडितणेणं पंचमंगल-महीयं मवेजा से वि उकिं तयोवहाणं करेजा गोयया करेजा से पयवं केण 3914]
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