Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 84
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपर्ण-५ दाम-पयच्छणक्खमे जे णं वंदन-मंडलि-विराहण-जाणगे जे णं पडिक्कमण-मंडलि-विराहणजाणगे जे णं सज्झाप-मंडलि-विराहण-जाणगे जे णं वक्याण-मंडलि-विराहण-जाणगे जे णं आलोयणा-मंडलि-विराहण-जाणगे जेणं उद्देस-मंडलि-विराहण-जाणगे जे णं समद्देस-मंडलिविराहण-जाणगे जे णं पब्वज्ञा-विराहण-जाणगेजेणं उवठ्ठालवणा-विराहणा-जाणगे जे णं उद्देससमुद्देसाणुण्णा-विराहण-जाणगे जे णं काल-खेत-दन्च-भाव-भावंतरंतर-वियाणगे जेणं कालखेत्त-दव्य-भायालंबण-विप्पामुक्के जेणं स-बाल-बुद-गिलाण-सेह-सिक्खग-साहम्पिय-अज्झावट्ठावण-कुसले जे णं परवगे नाण-दसण-चारित्त-तवो गुणाणं जे णं चरए धरए पभावगे नाणदंसण-चरित-तवो गुणाणंजेणं दढ-सम्मत्ते जेणं सययं अपररिसाईजेणंधीइमा जे णं गंभीरे जेणं सुलोमलेसे जे णं दिनयरमिव अणभिमवणीए तक्तेएणं जे णं सरीरोवरमे वि छक्काय-समारंभविवञ्जी जे णं सील-तव-दान-भावनामय-बउबिह-चउबिह-धम्मतरायं-भील जेणं सब्बा-सायणा भीख जेणं इड्ढि-रस-सायगारव-रोइडझाण-विप्पमुक्के जे णं सव्यावस्सगमुजुत्तेजेणं सविसेसलद्धि जुते जेणं आवडिय-पेल्लियामंतिओ वि नायरेजा अयजं जेणं नो बहु निद्दो जेणं नो बहु भोइ जे णं सब्वावस्सग-सज्झाण-पडिमाभिग्गह-घोर-परीसहोवसग्गेसु जिय-परीसमे जे णं सुपत्तसंगह-सोले जे णं अपत्त-परिट्ठावणविहिष्णू जे णं अनुद्धय-बोंदी जे णं परसमय-ससमय-समंबियाणे जे णं कोह मान-माया-लोभ-ममकारादि इतिहास-खेहु-कंदप्पनाहियवादविप्पमुक्के धम्मकहा-संसार-वास-विसयाभिलासादीणं वेरगुप्पायगे पडिबोहगे भव्य-सत्ताणं से णं गच्छनिखेवण-जोगो से णं गणी से णं गणहरे सेणं तित्येसे णं तित्थयरे सेणं अरहा से णं केवलीसेणं जिणे से णं तित्युब्भाप्तगे से णं वंदे से णं पुछे सेणं नमसणिज्जे से णं दहब्वे सेणं परम-पवित्तेसेणं परम-कल्लाणे से णं परम-मंगल्ले से णं सिद्धी से णं मुत्ती से णं सिवे से णे मोक्खे से णं ताया से णं संपग्गे से णं गती सेणं सरपणे से णं सिद्धे मुत्ते पार-गए-देव-देवे एयस्स णं गोयमा गण- निखेवं कुजा एयस्स णं गणनिक्खेवं कारवेशा एयरसणं गणनिक्खवेणं समणुजाणेला अण्णहा णं गोयमा आणा-भंगे ।१५॥ (८२२) से मययं केवतियं कालं जाव एस आणा पवेइया गोयमा जावणं महायसे महासत्ते महाणुमागे सिरिप्पभे अणगारे से मयवं केदतिएणं काले णं से सिरिप्पमे अणगारे भवेना गोयमा होहीदुरंत-पंत-लक्खणे अट्ठच्चे रोदे चंडे पयंडे-उपग-पर्यडे दंडे निम्मेरे निकिकवे निग्धिणे निर्तिसे कूरयर-पाव-मती अणारिए मिच्छदिट्ठी कक्की नाम रायाणे से णं पावे पाहुडियं ममाडिउ कामे सिरि-समण-संघ कयत्येजा जाव णं कयत्ये इ ताय णं गोयमा जे केई तत्य सीलड्ढे महाणुमागे अचलिय-सत्ते तवोहणे अणगारे तेर्सि ध पाडिहेरियं कुञा सोहम्मे कुलिसपाणी एरावणगामी सुरवरिदै एवं च गोयमा देविंद-यदिए दिट्ठ-पच्चए णं सिरि-समण-संघे निट्ठिजा णं कुणयपासंड-धम्मे जावणं गोयमा एगे अबिइज्जे अहिंसा-लखण-खंतादि-दस-विहे धमे एगे अरहा देवाहिदेदे एगे जिनालए एगे वंदे पूए दक्खे सक्कारे सम्माणे महायसे महासत्ते महाणुभागे दट-सील-व्यय-नियमधारए तवोहणे साहू तत्थ णं चंदमिव सोमलेसे सूरिएइय तव-तेय-रासी पुढवी इव परीसहोवसग्गसहे मेरुमंदर-धरे इव निपकंपे ठिए अहिंसा लक्खण-खंतादि दस-विहे धम्मे से णं सुसमण-गणपरिवुडे निरम-गयणामल-कोमुई-जोग जुत्ते इव गह-रिक्ख-परियरिए गहवई चंदे अहिययरं विराएजा गोयमा सेणं सिरिप्पभे अणगारे ता गोयमा एवइयं कालं जावएसा आणा पवेइया।१। For Private And Personal Use Only

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