Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०१
२६९||
dla voit
२७१॥
॥२७२॥
॥२७३॥
||२७४॥
||२७५॥
||२७६॥
अक्षय (१२०८) तं पक्खिविऊण गुन्झंते फालिया जाव हिययं
___ जावदुक्ख-भरक्कंता चल-चल्लचेल्लिं करतो (१२०९) तासा पुणो विचितेइ जायजीवं न उड्डए
ताय देमी से दाहाईजेण मे भव-सएसुवि (१२१०) न तरइ पियमंकाउंइणमो पडिसंपरंतिया
ताहे गोयम आणेउं चक्किय-सालाओ अयमयं (१२११) तावितु फुलिंग मेलंतंजोणिए पक्खितंकुसं
एवं दुक्ख-मरक्कंता तत्य मरिऊण गोयमा (१२१२) उववत्रा चक्कवट्टिस्स महिला-रयणत्तेण सा
इओ यरंडा-पुत्तस्स महिला तंकलेवरं (१२१३) जीवुडझियं पिरोसेणं छेत्तुं छेत्तुंसुसंमयं
साण काग-मादीणंजाय धत्ते दिसोदिसिं (१२१४) ताव रंडा-पुत्तो व बाहिरभूमीओ आगओ
सोयदोस-गुणे नाउं बहुं मणसा वियप्पियं
गंतूण साहु-पामूलं पव्यझं काउ निम्बुडो (१२१५) अह सो लस्खणदेवीए जीवो खंडोहियत्तणा
इत्यि-यणं भवेत्ताणं गोयमाछट्ठियं गओ (१२१५) तन्नेरइयं महा-दुखं अइयोरंदारुणं तहिं
तिकोणे निरयावासे सुचिरंदुक्खेणावेइङ (१२१७) इहागओ समुप्पत्रो तिरिय-जोणीए गोयमा
साणत्तेणाए मयकाले बिलग्गो मेहुणे तेहिं (१२१८) माहिसिएणं कओघाओ विखे जोणी समुच्छला
___ तत्य किमिएहिं दस-वरिसे खद्धोमरिऊण गोयमा (१२११) उयवण्णो वेसत्ताएतओविमरिऊण गोयमा
एगणंजायसय-वारं आम-गरमेसु पधिओ (१२२०) जन्म-दरिदस्स गेहम्मि माणुसत्तं समागओ
तत्य दो मास-जायस्स माया पंचत्तं उवगया (१२२१) ताहे महया किलेसेणं पणं पाउं घरापरि
जीवावेऊण जणगेणं गोउल्लियस्स समल्लिओ (१२२२) तहियं निय-जननीओ च्छीरं आवियमाणे निबंधिउं
छाव-रुए गोणीओ दुइमाणेणंजं बखं अंतराइयं (१२२३) तेणं सो लक्खणजाए कोडाकोडिं भवंतरे
जीदोपण्णमलहमाणो बझंतो रुग्झंतो नियलिअंतो
हम्मतो दम्मतो विच्छोहिलंतोय हिंडिओ (१२२४) उववण्णो मणुय-जोणीए डागिणित्तेण गोयमा
तत्यय साणय-पालेहि कीलिउं छट्टियं गया
||२७७॥
||२७८॥
॥२७८॥
२८०॥
॥२८॥
।२८२॥
॥२८॥
२८४॥
२८५॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154