Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 111
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ ||२८६॥ ॥२८॥ ।।२९०11 ॥२९३॥ महानिसी-1-19२२५ (१२२५) तओ उवट्टिऊण इहइंतं लखो माणुसत्तणं जत्तयसरीर-दोसेणं एमाहंत-महि-मंडले (१२२६) जामद्ध-नाप-घडियं या नोलद्धं वैरत्तियंजहियं पंचेव उघरे गामे नगरे पुर-पट्टणेसुवि ॥२८॥ (१२२७) तत्य य गोयम मणुयत्ते नारय-दुक्खाणुसरिसिए अणेगेरष्ण-उरण्णेणं घोरे दुक्खेऽणुभोत्तुणं ॥२८॥ (१२२८) सो लक्खणदेवी-जीवो सुरोह-ज्झाण-दोसओ ___मरिऊण सत्तसं पुटविं उववष्णोखाडाहडे (१२२९) तत्ययतं तारिसं दुक्खं तेत्तिसं सागरोवमए अनुपविऊणेह उववण्णो वंझा गोणीत्तणेणय (१२३०) खेत-खलयाइंचमदंतीभंजंतीय चरेतिया सा गोणी बहु-जणोहेहि मिलिऊणागाह-पंक-वलए पवेसिया ।।२९१।। (११३१) तत्य खुट्टिजलोयाहिं लुसिजंती तहेवय काग-मादिहिं लुप्पंती कोहाविट्ठा मरेऊणं ॥२९॥ (१२३२) ताहे विजल-धणे रण्णे मरुदेसे दिहिवीसो सप्पो होऊण पंचमगंपुढविं पुनरवि गओ (१२३३) एवं सो लक्खणजाए जीवो गोयमा चिरं घन-घोर-दुक्ख-संतत्तो घउगइ-संसार-सागरे (१२५४) नारय-तिरिय कुमणुएसु आर्हिडिता पुणो विहं होइ सेणियजीवस्स तित्ये पउसस्स खुजिया ॥२९५॥ (१२३५) तत्य यदोहाग-खाणी सा गामे निय-जननीओ विय गोयमा दिष्टान कस्सा वि अत्यियरही तहिं मवे ||२९६11 (१२५) ताहेसब-मणेहिं सा उब्वियण्णिातिकाऊणं मसि-गेरुय-विलितंगाखरे लढा भमाडिउं ॥२९॥ (१२५७) गोयमा उपक्ख-पक्केहिं वाइय-खर-विरस-डिडिमं निद्धाडिहिईन अन्नत्य गामे लहिइ पविसिउं ॥२९॥ (१२५4) ताहे कंदफलाहारा रण-यासे वसंतिया छच्छंदरेण वियणत्ता नाहीए मज्झदेसए (१२) तओ सव्वं सरीरंसे भरिजी संदराण य तेहिं तु विलुप्पमाणीसा दूसह-घोर-दुहाउरा (१२४०) बियाणिता पउम-तित्यपरंतप्पएसे समोसढं पैच्छिहीजावता तीए अग्नेसिमवि बहु-वाही-वेयणा-परिगय-सरीराणं तद्देस विहारी भव्य सत्ताणं नर नारी-गणाणं तित्ययर-दंसणा चेव सव्व दुक्खं विणिविही ॥३०॥ (१२) ताहे सो लक्खणाए हियं खुशियत्ते जीओ गोयमघोरं तवं चरिउंटुक्खाणमंतंगच्छिही (१२४२) एसा सा लक्षणदेवी जाअगीयत्य-दोसओ गोयम अनुकलुसचित्तैणं पत्ता दुक्ख-परंपरं ॥३०३|| ||३९४॥ ॥२९९॥ ||३०० ॥३०२॥ For Private And Personal Use Only

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